ABVP सदस्य से तेलंगाना के मुख्यमंत्री तक का रेवंत रेड्डी का सफर

हैदराबाद। तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री के रुप में गुरुवार को शपथ लेने वाले श्री रेवंत रेड्डी छात्र जीवन के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य थे।

रेड्डी( 54) तेलंगाना विधानसभा में कोडंगल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्हें कम उम्र में ही दक्षिणी राज्य के शासन को चलाने के लिए कांग्रेस हाई कमान द्वारा कार्य सौंपा गया।

वर्ष 2015 में कैश-फॉर-वोट घोटाले में तत्कालीन तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) तेलंगाना विधायक को कथित तौर पर विधान परिषद चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने के लिए एक नामांकित विधायक को रिश्वत देने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया था।

रेड्डी ने पहले संसद में मल्काजगिरी लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें जुलाई 2021 में एन उत्तम कुमार रेड्डी की जगह तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

उन्होंने 2023 के तेलंगाना विधान सभा चुनाव में मौजूदा भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को हराकर अपनी पार्टी की जीत का नेतृत्व किया। आठ नवंबर 1969 को महबूबनगर जिले (वर्तमान नगरकुर्नूल जिला, तेलंगाना) के कोंडारेड्डी पल्ली में जन्मे रेड्डी ने आंध्र विद्यालय कॉलेज, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से कला स्नातक की पढ़ाई की।

उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी की भतीजी गीता से शादी की। दंपति की एक बेटी है। रेड्डी छात्र जीवन के दौरान एबीवीपी के सदस्य थे। उन्होंने 2006 में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ा और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मिडजिल मंडल से जेडपीटीसी सदस्य के रूप में चुने गए।

रेड्डी को 2007 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य के रूप में चुना गया था। बाद में, उन्होंने तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की और पार्टी में शामिल हो गए।

वर्ष 2009 में नए मुख्यमंत्री तेदेपा उम्मीदवार के रूप में 46.46 प्रतिशत वोटों के साथ कोडंगल निर्वाचन क्षेत्र से आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने कांग्रेस के निवर्तमान और पांच बार के विधायक गुरुनाथ रेड्डी के खिलाफ जीत हासिल की। उन्होंने वर्ष 2009 और 2014 के बीच आंध्र प्रदेश विधानसभा में और 2014 और 2018 के बीच तेलंगाना विधानसभा में विधायक के रूप में कार्य किया।

उन्होंने 2014 अविभाजित आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा और गुरुनाथ रेड्डी के खिलाफ 14,614 वोटों के बहुमत के साथ कोडंगल से तेलंगाना विधानसभा के लिए चुने गए। रेड्डी को तेलंगाना विधानसभा में तेदेपा के फ्लोर लीडर के रूप में चुना गया था। पच्चीस अक्टूबर 2017 को उन्हें तेदेपा ने फ्लोर लीडर के पद से हटा दिया। 31 अक्टूबर, 2017 को वह कांग्रेस में शामिल हो गए।

उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में कोडंगल से 2018 तेलंगाना विधानसभा चुनाव लड़ा और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) उम्मीदवार पटनम नरेंद्र रेड्डी से हार गए, जो किसी भी चुनाव में उनकी पहली हार थी।

रेड्डी को 20 सितंबर, 2018 को तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के तीन कार्यकारी अध्यक्षों में से एक नियुक्त किया गया। 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में अपनी हार के बाद, रेड्डी ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मल्काजगिरी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2019 के आम चुनाव में 10,919 वोटों के अंतर से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा, जो कुल वोटों का 38.63 प्रतिशत था। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी टीआरएस के मैरी राजशेखर रेड्डी को हराया।

रेड्डी को जून 2021 में, एन उत्तम कुमार रेड्डी की जगह टीपीसीसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने सात जुलाई, 2021 को नई भूमिका ग्रहण की। उन्होंने 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के खिलाफ कांग्रेस के सफल अभियान का नेतृत्व किया, जिसमें पार्टी ने 64 सीटें जीतीं। जो बहुमत के आंकड़े से चार सीटें अधिक है।