ERCP योजना के लिए गहलोत और कमलनाथ दोषी : राजेन्द्र राठौड़

जयपुर। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड ने बहुचर्चित पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) योजना को अटकाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को दोषी ठहराया है।

राठौड़ सोमवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कमलनाथ ने ही सबसे पहले राजस्थान को एनओसी देने पर एतराज जताया था इसके बाद गहलोत ने राज्य के खर्च पर प्रोजेक्ट को शुरू करने की घोषणा की ओर अब तक सिवाय घोषणाओं के कुछ नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार की ओर से ईआरसीपी को चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार इस परियोजना को वर्ष 2051 में पूरा करने का दावा कर रही है और इसके विधानसभा में 37 हजार करोड रूपए खर्च करने की घोषणा कर चुकी है लेकिन इसके बाद अब तक इस योजना के नाम पर कोई काम नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान के सीएम मुख्यमंत्री नहीं बल्कि घोषणा मंत्री हैं। ईआरसीपी के लिए सीएम ने ईआरसीपी कॉरपोरेशन बनाकर 13 हजार करोड देने की बात कही लेकिन अब तक एक पैसा भी खर्च नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है और पिछले छह माह में यहां सिर्फ 25 प्रतिशत मामलों को जांच के बाद अदालत तक ले जाया गया है।

उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री इस योजना पर काम कर रहे हैं तो किस बात के लिए यह जनजागरण यात्रा निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में राजस्थान आर्थिक आपातकाल की स्थिति में पहुंच गया है। इसके कारण अब प्रदेश में कर्ज बढकर 5 लाख 37 हजार 13 करोड का हो गया है और गहलोत सरकार अक्टूबर से दिसम्बर की तिमाही के लिए 14 हजार करोड रूपए का कर्ज ले रही है।

उन्होंने कहा कि योजनाओं के नाम पर आमजन को धोखा दिए जाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने राजस्थान स्टेट पावर फाइनेंस एंड फाइनेंसियल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड में आवासन मंडल से एक हजार करोड रूपए, रीको से एक हजार करोड तथा आरटीडीसी से भी 1500 करोड रूपए लेकर राजनीतिक स्वार्थो की पूर्ति की जा रही है और सीएम ने अपनी छवि चमकाने के लिए आमजन के दो हजार करोड रूपए डिजाइन बॉक्स को बांट दिए।

एक सवाल के जवाब में राठौड ने कहा कि भाजपा में टिकट वितरण के बाद बने हालात परिवार का आपस का मामला है और अधिकांश स्थानों पर इसे सुलझा लिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी में ज्यादा अंतर्विरोध और गुटबाजी है। इसके कारण सितम्बर में पहली लिस्ट जारी करने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी अब तक अपने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं कर पाई है।

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