रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को विशेष प्रवर्तन निदेशालय (पीएमएलए) अदालत ने मंगलवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। यह कार्रवाई राज्य के बहुचर्चित शराब घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 18 जुलाई को उन्हें गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तारी के बाद चैतन्य को पांच दिनों की ईडी रिमांड पर भेजा गया था, जिसकी अवधि आज समाप्त हो गई। इसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
चैतन्य की गिरफ्तारी को लेकर विवाद तब और गहरा गया जब ईडी ने गिरफ्तारी की जानकारी सार्वजनिक करने में देरी की। गिरफ्तारी के चार दिन बाद ईडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी पुष्टि की, जिसे लेकर भूपेश बघेल ने राज्य सरकार और केंद्र की आलोचना करते हुए तीखा बयान दिया।
कांग्रेस पार्टी ने इस गिरफ्तारी को राजनीतिक साजिश करार देते हुए राज्यव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है। पार्टी का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी शासित केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उधर, ईडी का कहना है कि चैतन्य की गिरफ्तारी ठोस डिजिटल साक्ष्यों और सह-आरोपियों के बयानों के आधार पर की गई है।
गौरतलब है कि गत 18 जुलाई की सुबह ईडी ने भिलाई-3 स्थित भूपेश बघेल के पारिवारिक निवास पर छापा मारा था और उनके पुत्र चैतन्य को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। बाद में उन्हें रायपुर स्थित ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय लाया गया, जहां उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया।
सूत्रों के अनुसार विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान एजेंसी ने यह दावा किया कि चैतन्य ने कथित शराब घोटाले से जुड़े हजारों करोड़ के लेन-देन को छिपाने के लिए जटिल नेटवर्क और कई कंपनियों का इस्तेमाल किया। ईडी की जांच में सामने आया है कि शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू ने इकनॉमिक ऑफेन्स विंग (ईओडब्ल्यू) को दिए अपने बयान में कहा है कि उसने और चैतन्य ने मिलकर 1,000 करोड़ से अधिक की अवैध राशि को प्रबंधित किया।
यह रकम अनवर ढेबर द्वारा दीपेन चावड़ा को दी गई, जो आगे रामगोपाल अग्रवाल को पहुंचाई गई। बंसल के मुताबिक इस समूची व्यवस्था में चैतन्य की प्रमुख भूमिका थी और उनके कहने पर 100 करोड़ की नकद राशि केके श्रीवास्तव को सौंपी गई।
ईडी का दावा है कि चैतन्य ने इस धन को ट्रैक से बचाने के लिए ढिल्लन सिटी मॉल, ढिल्लन ड्रिंक्स और बघेल डेवेलपर्स जैसी इकाइयों के माध्यम से धन का चक्र बनाया। एजेंसी का आरोप है कि इस प्रक्रिया में चैतन्य के पास 16.70 करोड़ की अवैध राशि पहुंची। साथ ही, बंसल ने यह भी स्वीकार किया कि उसे केवल तीन महीने में इस सिंडिकेट से 136 करोड़ की राशि प्राप्त हुई। ईडी ने बताया कि अनवर ढेबर और नीतेश पुरोहित के बीच हुई डिजिटल बातचीत में इन लेन-देन की पुष्टि होती है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ से अधिक के शराब घोटाले की जांच ईडी द्वारा की जा रही है, जिसकी प्राथमिकी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने दर्ज की थी। जांच में यह भी उजागर हुआ है कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के दौरान इस घोटाले को अंजाम देने में तत्कालीन आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर की मुख्य भूमिका थी।