अजमेर में उर्स के मौके पर शुक्रवार को जुमे की बड़ी नमाज अदा

अजमेर। राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें सालाना उर्स के मौके पर शुक्रवार को जुमे की बड़ी सार्वजनिक नमाज अदा की गई। इस नमाज में देश-प्रदेश-विदेश से आये एक लाख से ज्यादा जायरीनों ने ख्वाजा गरीब नवाज के सजदे में सिर झुकाये और नमाज अदा कर दुआ मांगी।

अजमेर दरगाह से सार्वजनिक सामूहिक नमाज शहर काजी मौलाना तौसीफ अहमद सिद्दीकी ने अदा करायी। नमाज का आगाज दरगाह स्थित शाहजंहानी मस्जिद में जुम्मे की अजान से हुई और उसके बाद खुतबा हुआ। ठीक डेढ़ बजे दरगाह के पीछे पहाड़ी पर स्थित बड़े पीर साहब की दरगाह से पहली तोप दागी गई, जिसके बाद सफे बनाकर बैठे अकीदतमंदों ने सुन्नत अदा की।

इसके बाद 1.35 पर दूसरी तोप दागी गई, इस संकेत के साथ खुतबे की अजान हुई और मौलाना की ओर से खुतबा-ए-जुम्मा पढ़ा गया। तीसरी तोप के साथ जुम्मे की नमाज सामूहिक रूप से शुरू हुई।

नमाज के दौरान सभी मुसलमान ख्वाजा गरीब नवाज की इबादत में डूबे नजर आए। नमाजी सुबह से ही दरगाह में सफे बनाकर बैठना शुरू हो गए। खुद्दाम-ए-ख्वाजा ने यह क्रम आस्ताने शरीफ से शुरू किया जो दरगाह परिसर से सड़कों की ओर निकल पड़ा।

दरगाह बाजार, लंगरखाना, नलाबाजार, मदारगेट, धानमंडी, दिल्लीगेट, कुत्ताखाना गंज, रेलवेस्टेशन, त्रृषि घाटी बाईपास के साथ दरगाह शरीफ से 12 किलोमीटर दूर कायड़ विश्राम स्थली पर नमाजी नमाज अदा करते नजर आये। इसके अलावा दरगाह से जुड़ी अकबरी मस्जिद, संदली दरवाजा, चिल्ला कुतुब साहब, मस्जिद घंटाघर, सोलहखम्भा, ढाई दिन का झोपड़ा आदि पर भी नमाजी डटे रहे और नमाज अदा की।

अजमेर जिला प्रशासन ने नमाज के दौरान खास सुरक्षा प्रबंध किए और ड्यूटी पर तैनात अधिकारी मुस्तैद नजर आए। बावजूद इसके नमाज खत्म होने के बाद धक्का मुक्की का दौर चलता रहा। नमाज से पहले गलियों और मुख्य मार्ग पर पर्दे एवं बैरिकेडिंग कर आवाजाही एवं यातायात को भी रोका गया ताकि नमाजियों को असुविधा न हो।

अजमेर कायड़ विश्राम स्थली पर दरगाह कमेटी ने तथा दरगाह के अन्दर अन्जुमन सैय्यदजादगान तथा शेखजादगान ने नमाजियों के लिए खास बन्दौबस्त किए। इसके अलावा सड़कों पर बैठे नमाजियों को स्थानीय दुकानदारों ने बिछाने के लिए अखबार तथा शीतल जल की व्यवस्था कर कौमी एकता का संदेश दिया।

ख्वाजा साहब का सालाना उर्स लगभग सम्पन्न हो गया है लेकिन रजब माह की नौ तारीख यानी 21 जनवरी को बड़े कुल की रस्म के साथ उर्स समापन का एलान होगा तथा उर्स का झंडा उता लिया जाएगा।