कलकत्ता हाईकोर्ट ने शर्मिष्ठा पनोली को दी अंतरिम जमानत, भाजपा ने किया स्वागत

कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पुणे विश्वविद्यालय की कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को गुरुवार को अंतरिम जमानत दे दी। पनोली को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सोशल मीडिया पर विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था।

भाजपा ने इसका स्वागत करते हुए उनकी गिरफ्तारी को पुलिस की अतिउत्साह का उदाहरण बताया। कलकत्ता उच्च न्यायालय के राजा बसु चौधरी की पीठ ने यह देखते हुए कि युवती को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की कोई आवश्यकता नहीं है, उसे दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी। हालांकि अदालत ने कहा कि पनोली को जांच में सहयोग करना चाहिए और अपना पासपोर्ट जमा करना चाहिए।

दिल्ली निवासी और पुणे विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रही विधि छात्रा पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सोशल मीडिया पर विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए कोलकाता पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद उसे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था।

पनोली को 30 मई को कोलकाता लाया गया और एक अदालत में पेश किया गया, जहां उसे 13 जून तक न्यायिक हिरासत में रखा गया। हालांकि, विधि छात्रा ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां उसे जमानत मिल गई।

न्यायालय ने पनोली की गिरफ्तारी में अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में भी टिप्पणी की और कहा कि गिरफ्तारी वारंट ‘तकनीकी रूप’ से जारी किया गया था तथा जांच अधिकारी के अनुरोध पर गत 22 मई को अलीपुर अदालत की ओर से जारी गिरफ्तारी आदेश कानूनी रूप से उचित नहीं था। पीठ ने यह भी कहा कि आरोपी एक कानून की छात्रा है, और पूछताछ के लिए उसे हिरासत में रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।

साथ ही विभिन्न पुलिस थानों में उसके खिलाफ दर्ज अन्य मामलों की जांच स्थगित रहेगी। साथ ही, उसी मामले के लिए उसके खिलाफ कोई नया मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक अधिकार है, लेकिन कोई भी किसी समुदाय के खिलाफ टिप्पणी नहीं कर सकता।

यह घटना 14 मई, 2025 को पनोली द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो से शुरू हुई, जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सैन्य कार्रवाइयों के बारे में एक पाकिस्तानी अनुयायी के सवाल के जवाब में था। कथित तौर पर वीडियो में एक विशेष समुदाय के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां शामिल थीं, और पनोली को लक्षित मौत और बलात्कार की धमकियों सहित कड़ी आलोचना की गई।

विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी ने पनोली को अंतरिम जमानत दिए जाने पर खुशी जताई। उन्होंने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा कि आज न्याय हुआ है – लगभग 22 वर्षीय कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता के माननीय उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया है।

यह पुलिस अत्याचार का मामला है क्योंकि एक निर्दोष युवती को, अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग करने के लिए, कोलकाता पुलिस द्वारा अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया है और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह पुलिस के अतिउत्साह और अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने की उत्सुकता का एक और उदाहरण है।