राजस्थान बोर्डर पर भी कांग्रेस का गुजरात की तरह भाजपा का पोषण करने वाला मॉडल!

आबूरोड में कांग्रेस के संरक्षण में भाजपा वाला मॉडल।

सबगुरु न्यूज- सिरोही। राहुल गांधी का 2024 का गुजरात के गांधीनगर का दौरा याद होगा। इसमें राहुल गांधी ने जो कहा उससे राष्ट्रीय स्तर तक कांग्रेस में हड़कंप मच गया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के आधे लोग भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं को छांटने की जरूरत है। राहुल गांधी ने जो गुजरात में महसूस किया क्या उस व्याधि से राजस्थान गुजरात सीमा स्थित सिरोही जिले के कई स्थानों में काम कर रहा है? भ्रष्टाचार और फेल गवर्नेंस पर कई ब्लॉक, ग्रामीण व नगर कांग्रेस और नगर निकाय क्षेत्र के कांग्रेस पदाधिकारियों की चुप्पी तो कुछ ऐसा ही इशारा दे रही है। यहां कांग्रेस संगठन की लगाम या तो सिरोही में रही या जयपुर में। ब्लॉकों और नगरों में पद संभाले नेताओं को भाजपा राज के भ्रष्टाचार और अव्यवस्था पर चुप्पी की राहुल गांधी द्वारा बताई दो वजह ही हो सकती हैं वो ये कि इन नगर अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों को कांग्रेस की विचारधारा पर अमल करने से इनके जिला मुख्यालय और जयपुर स्थिति गॉडफादर रोक रहे हैं या फिर ये खुद ही भाजपा की गोद में बैठ कर जनहित की बजाय सत्ता में अपने हित के लिए भागीदारी कर रहे हैं।

– कांग्रेस संगठन का अघोषित समर्थन तो नहीं ?

सिरोही जिले में आबूरोड एकमात्र नगर पालिका होगी जहां पर भाजपा ने लगातार दो बार निष्कंटक बोर्ड पर काबिज हुई। यूं पिंडवाड़ा नगर पालिका भी भाजपा ही रही लेकिन वहां भाजपा के आधिकारिक पालिकाध्यक्ष को भ्रष्टाचार के मामले में हमेशा अपनी ही पार्टी के समर्थकों द्वारा कांग्रेस हटाने में कामयाब रही। कांग्रेस आबूरोड नगर संगठन और नगर पालिका आबूरोड में कांग्रेस के प्रतिनिधि ने जिस तरह से मौन धारण करके इस बोर्ड को भी क्लीनचिट दी हुई है उससे अगला बोर्ड भी यहां भाजपा का ही बनता दिख रहा है। यहां के कांग्रेस पार्षद अपनी जाति सम्प्रदाय के कारण नगर पालिका में जीतकर लगातार पहुंच जरूर रहे हैं लेकिन, शहर में इनकी जननेताओं की तरह मान्यता आज भी नहीं है। कांग्रेस नगर संगठन और नगर पालिका में कांग्रेस के दोनों गुटों के पार्षद कागजबाजी जरूर की लेकिन, उन्हीं मुद्दों पर नगर पालिका प्रशासन द्वारा कथित रूप से ठगे जाने के बाद भी कभी आंदोलन की राह अपनाती नहीं दिखी।

यहां आम नागरिकों के अलावा भाजपा और कांग्रेस से जुड़े लोगों में भी ये स्पष्ट धारणा है कि यहां की कांग्रेस भाजपा की गोद में बैठी है इसलिए आबूरोड के हालातों में कोई सुधार नहीं होने वाला और न ही नगर पालिका में भाजपा का और नगर की कांग्रेस का गठबंधन ये होने देगा। मंचों से खडे होकर जिले के कांग्रेस नेता भले ही भ्रष्टाचार और अनियमितता के लिए सड़कों पर उतरने की मीडिया हेडलाइन देते रहे, लेकिन हकीकत में आबूरोड कांग्रेस के जिम्मेदार पदों को हथियाए नेता ऐसा करना नहीं चाहते या फिर बड़े नेता ये दावे सिर्फ हेडलाइन के लिए करते दिखते हैं। कांग्रेस और भाजपा के अलावा आम जनता के मानना है कि जिले में सिर्फ सिरोही और शिवगंज नगर पालिका ही ऐसी नजर आती है जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच की लकीर साफ नजर आती है बाकी जगह ये दोनों एक ही रंग में रंगे नजर आते हैं।

– फिर विधायक को क्यों रहती है शिकायत? 

यहां पर बीस साल बाद भाजपा के विधायक को हराकर अल्प मार्जिन से कांग्रेस के विधायक जीते। आबूरोड में भी उन्हें जो थोड़े बहुत पहले से ज्यादा वोट मिले उसकी वजह उनकी मुखरता थी। लेकिन, विधायक मोतीराम कोली हमेशा इसी दर्द के मारे रहे कि उनकी विधानसभा के अन्य इलाकों से समेत आबूरोड में भी प्रशासन उन्हें समुचित सम्मान नहीं देता। उसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि वो खुद भी जनता के हित में खड़े होकर यहां पर कभी जननेता होने का संदेश नहीं दे पाए। ऐसे में वो प्रशासन द्वारा उद्घाटनों के शिलालेख में उनका नाम नहीं देने और आबूरोड हवाई पट्टी में आने वाले वीआईपी से मिलने नहीं देने को शिकायतें करते हुए नजर आते हैं।

दो-तीन बार यहां पर जनसमस्याओं को लेकर धरने भी हुए। वो भी कांग्रेस के नेताओं ने ही दिए। लेकिन विधायक, नगर पालिका के कई पार्षद इसमें आए ही नहीं। कांग्रेस के एकाध पार्षद भले ही किसी भी कारण से नगर पालिका में भाजपा बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार पर मुखर नजर आ रहे हैं लेकिन उनको कभी भी नगर संगठन ने आकर ज्ञापनों से आगे जाकर धरने प्रदर्शन करने को लेकर सहयोग नहीं दिया। कांग्रेस जिला नेतृत्व के हाल तो इतने बुरे हैं कि वो अपने द्वारा बुलवाए हुए प्रदर्शन के लिए प्रशासन से अनुमति तक नहीं ले पाते और न ही उसमें पहुंचते पाते हैं। पूर्व जिलाध्यक्षों के समय जिला कांग्रेस के ऐसे हाल नहीं थे, भले लोग कम आएं लेकिन राष्ट्रीय और प्रदेश संगठन के दिए कार्यक्रम व्यवस्थित रूप से जरूर होते थे।