चुनाव आयोग ने कांग्रेस के सोशल मीडिया पेज के वीडियों को भ्रामक बताया

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने कांग्रेस के ‘वोट चोर’ वाले वीडियो को भ्रामक और वर्तमान कानूनों से बेमेल बताते हुए उसे खारिज किया है और कहा है कि मतदान केंद्र के वीडियो फुटेज सार्वजनिक करने से मतदाताओं की निजिता और मतदान की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है।

आयोग ने अपने फैक्टचेक के हवाले से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कांग्रेस आधिकारिक पृष्ठ पर प्रेषित इस वीडियो पोस्ट के बारे में कहा है कि यह वीडियो भ्रामक है और मौजूदा कानूनों के अनुरूप नहीं है। कांग्रेस ने इस वीडियो का शीर्षक दिया है- अब न चलेगी चोरी, न कोई बहाना। वोट चोर, गद्दी छोड़।

आयोग ने फैक्टचेक के जरिये इसे भ्रामक बताते हुए कहा है कि आयोग भारत के संविधान, चुनाव संबंधी नियम कानूनों तथा उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार काम करता है। मतदाताओं की निजता की रक्षा को चुनावों की निष्पक्षता का मूल तत्व बताते हुए आयोग ने कहा है कि वह इस निजता की रक्षा के लिए दृढता से खड़ा है।

आयोग ने पुट्टास्वामी मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय (2017) में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है, जिसको अनुच्छेद 14 और 19 में संरक्षण प्राप्त है। यह शारीरिक निजता, सूचना संबंधी निजता और निर्णय संबंधी निजता शामिल है।

आयोग ने यह भी कहा है कि मुंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव खारिज करने की मांग वाली याचिका संख्या 1402 -2025 को खारिज कर दिया और मतदान केंद्र के सीसीटीवी फूटेज जनता को उपलब्ध कराने की मांग भी नामंजूर कर दी थी।

उच्चतम न्यायालय ने उस फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था। आयोग ने कहा है कि आयोग मतदान केंद्र के फुटेज केवल 45 दिन तक रखता है, क्योंकि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत चुनाव याचिका 45 दिन के अंदर ही दायर की जा सकती है।

आयोग ने कहा है कि मतदान केंद्र के सीसीटीवी के वीडियो फुटेज सार्वजनिक करने से गुप्त मतदान की गोपनीयता और मतदाताओं की निजता संकट में पड़ सकती है। मतदाताओं की पहचान जाहिर करने से उन पर दवाब पड़ सकता है या उनके साथ भोदभाव या उन्हें धमकाया जा सकता है।