हैदराबाद। तेलंगाना में एक नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम में बुधवार को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता ने पार्टी और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
कविता ने यहां तेलंगाना जागृति कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव द्वारा पार्टी से निलंबन के बाद अपने आत्मसम्मान की रक्षा और अपनी ईमानदारी साबित करने के लिए यह फैसला लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर दो ‘गिरोह’ उनके खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं और इसमें वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सिंचाई मंत्री टी हरीश राव तथा पूर्व सांसद संतोष राव का हाथ है, जो बीआरएस पर नियंत्रण करने की साजिश रच रहे हैं।
उन्होंने बीआरएस नेताओं पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या एक सामाजिक तेलंगाना की आवश्यकता नहीं है? क्या केवल एक भौगोलिक तेलंगाना का अस्तित्व ही पर्याप्त है? क्या स्वर्णिम तेलंगाना का अर्थ यही है कि हरीश राव और संतोष राव के घरों में सोना है?
उन्होंने आरोप लगाया कि हरीश राव और मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के एक ही उड़ान में साथ यात्रा करने के बाद उनके खिलाफ साजिशें शुरू हुईं। कविता ने व्यंग्यात्मक लहजे में हरीश राव को ‘संकटमोचक नहीं, बल्कि दोहरा निशानेबाज’ करार दिया। उन्होंने हरीश राव समूह और संतोष के समूह पर भाजपा और कांग्रेस, दोनों के साथ गठजोड़ करने का आरोप लगाया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना में घोटाले में उनके पिता को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, जबकि पूर्व सिंचाई मंत्री ने इस परियोजना में भ्रष्टाचार कर भारी संपत्ति अर्जित की है।
बीआरएस से निलंबित किए जाने पर नाराजगी के बावजूद कविता ने पार्टी प्रमुख के प्रति अपनी वफ़ादारी बनाए रखी और उन्हें दलितों और पिछड़ों का सच्चा समर्थन करने वाला एकमात्र नेता बताया। उन्होंने कहा कि मुझे अपने सामाजिक आंदोलनों की प्रेरणा उन्हीं से मिली थी। मैं चंद्रशेखर राव के साथ अन्याय नहीं होने दूंगी, चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए।
अन्य राजनीतिक दल में शामिल होने की अटकलों को खारिज करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि मैं किसी पार्टी में शामिल नहीं हो रही हूं। कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों से सलाह-मशविरा करने के बाद ही मैं अपने भविष्य का फैसला करूंगी।
बीआरएस में अपनी दो दशक लंबी सेवा को याद करते हुए कविता ने कहा कि वह समय और कर्म के सिद्धांतों में विश्वास करती हैं। उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि उनका निलंबन उनके पिता चंद्रशेखर राव पर बढ़ते दबाव का नतीजा था। उन्होंने कहा कि मैं कई जन्मों के पुण्य से ही चंद्रशेखर राव की बेटी के रूप में पैदा हुई हूं। मैं उन्हें या उनकी पार्टी को क्यों परेशान करूं।