Home Rajasthan Ajmer हृदय रोगियों के लिए आंवला सेहतमंद : डाॅ तरुण सक्सेना

हृदय रोगियों के लिए आंवला सेहतमंद : डाॅ तरुण सक्सेना

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हृदय रोगियों के लिए आंवला सेहतमंद : डाॅ तरुण सक्सेना

अजमेर। आंवला पाउडर हृदय की धमनियों में मेटावाॅलिज्म को नियंत्रित कर हृदय की धमनी के अंदर की झिल्ली को मजबूत करने में सहायक होता है। शरीर में नाईट्रिक आॅक्साइड का स्तर बढ़ाता है और सिम्पेथेटिक नाड़ी की तीव्रता को कम करता है। मौटे तौर पर हृदय रोगी को बहुत आराम पहुंचाता है।

यह जानकारी एक शोध के आधार पर वरिष्ठ फिजीशियन डाॅ तरुण सक्सेना ने दुनियाभर के हृदय रोग विशेषज्ञों के समक्ष पिछले दिनों सिंगापुर में साझा की। मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, अजमेर के वरिष्ठ फिजीशियन डाॅ तरुण गत 15 से 17 नवम्बर तक सिंगापुर में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय कार्डियोलोजी कांफ्रेंस चाइना 2017 में हिस्सा लेने गए हुए थे।

‘एंडो थीलियम स्ट्रेंथनिंग इन एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम’ विषय पर व्याख्यान देकर लौटे डाॅ सक्सेना ने बताया कि उनके शोध को दुनिया भर के चिकित्सकों ने सराहा।

डाॅ तरुण ने व्याख्यान में बताया कि हृदय रोगियों में हृदय के धमनी की अंदर की झिल्ली ( कोरोनरी आर्टरी) को सामान्य करने पर वह स्वतः ही प्लेटलेट, काॅलेस्ट्रोल एवं खून के थक्के को नियंत्रित कर लेती है। सबसे अहम यह भी है कि इसके लिए अलग से दवाओं की आवश्यकता नहीं होती।

डाॅ तरुण ने शोध के आधार पर बताया कि इस झिल्ली के विकृत होने के कारण जमा हुआ खून का थक्का अंनियंत्रित हो जाता है। झिल्ली के विकृत होने का कारण प्रमुख रूप से एटीपी यानी एनर्जी मोलिक्यूल ( ऊर्जा स्रोत ) के रिक्वायरमेंट में बदलाव होता है। हृदय रोगी की झिल्ली को मजबूत करने में आंवला पाउडर का प्रयोग सार्थक हुआ।

हृदय रोगी के छाती दर्द में आराम हो गया, ईसीजी सामान्य हो गई व एसएसआर (सिम्पेथेटिक नाड़ी की तीव्रता) सामान्य होना पाया गया। डाॅ तरुण ने बताया कि आंवला पाउडर के सेवन से ईको कार्डियोग्राफी में हृदय की दीवारों का कार्य 15 से 20 मिनट में सामान्य होना पाया गया एवं तुरंत खून का थक्का तोड़ने का इंजेक्शन लगाने की एवं एंजियोग्राफी की आवश्यकता में कमी आई। हृदयघात वाले मरीजों में छाती में दर्द में आराम पाया गया।

डाॅ तरुण ने बताया कि यह ट्रायल क्लिनिकल ट्रायल रिजस्ट्री आॅफ इंडिया( सीटीआरआई) में पंजीकृत है एवं गत माह पूर्ण होने के बाद अन्तरराष्ट्रीय जरनल में प्रकाशन के लिए भेजी गई है।