Home Headlines नरोत्तम मिश्रा को ‘नायक-खलनायक’ बताने की जोर आजमाइश!

नरोत्तम मिश्रा को ‘नायक-खलनायक’ बताने की जोर आजमाइश!

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नरोत्तम मिश्रा को ‘नायक-खलनायक’ बताने की जोर आजमाइश!
Madhya Pradesh minister Narottam Mishra
Madhya Pradesh minister Narottam Mishra

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी डॉ. नरोत्तम मिश्रा को पेड न्यूज मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय से भी राहत नहीं मिलने के बाद राज्य की राजनीति गरमाने के आसार बन गए हैं।

भाजपा जहां उनका बचाव करते हुए ‘नायक’ बताने की कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस और विरोधियों को उन्हें ‘खलनायक’ बताने का अच्छा मौका मिल गया है।

नरोत्तम मिश्रा वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में दतिया विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। उनके प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र भारती ने वर्ष 2009 में चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि मिश्रा ने चुनाव खर्च का सही ब्यौरा नहीं दिया है और पेड न्यूज छपवाई है। यह मामला उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ व सर्वोच्च न्यायालय से होता हुआ चुनाव आयोग पहुंचा।

आयोग ने 23 जून को मिश्रा को पेड न्यूज का दोषी पाते हुए तीन साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया। इस पर मिश्रा ने स्थगन चाहा और उच्च न्यायालय के बाद सर्वोच्च न्यायालय गए। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय से करने के निर्देश दिए, जिस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मिश्रा की याचिका को खारिज करते हुए आयोग के फैसले को सही ठहराया है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष डॉ. हितेश वाजपेयी को लगता है कि चुनाव आयोग के फैसले में खोट है। वह कहते हैं कि पेड न्यूज की कंडिका की अभी समीक्षा की जरूरत है, क्योंकि मिश्रा के मामले में जो फैसला आया है, वह त्रुटिपूर्ण है। कहीं यह स्थापित नहीं हुआ है कि पैसे देकर खबर छपवाई गई है और पैसे के लेन-देन का कहीं ब्यौरा नहीं है। चुनाव आयोग को पेड न्यूज के मामले में संतोषजनक प्रक्रिया अपनानी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग का यह फैसला अभिव्यक्ति और स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए चुनौती है, पेड न्यूज पर बहस हो, और इस नियम में सुधार किया जाना चाहिए।

वहीं डॉ. मिश्रा इस मामले को लेकर विधि विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं। वह अब दिल्ली उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ या सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे।

मिश्रा के खिलाफ याचिका दायर करने वाले राजेंद्र भारती का कहना है कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मिश्रा की याचिका खारिज किए जाने से साबित हो गया है कि उन्होंने चुनाव भ्रष्ट तरीके से जीता था। इतना ही नहीं, भाजपा के अन्य नेता भी इसी तरह से चुनाव जीतते हैं।

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य संजय सिंह का कहना है कि चुनाव सुधार की दिशा में आयोग का फैसला काफी महत्वपूर्ण है, इस तरह के फैसले ही चुनाव में शुचिता और स्वच्छता लाने में मददगार बनेंगे।

किसान आंदोलन से लेकर कर्मचारी विरोध तक का सामना कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए अपने मंत्री मिश्रा को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया जाना एक नई मुसीबत बनकर आ गई है।

भाजपा ने मिश्रा के साथ खड़ी होकर उन्हें झूठे आरोपों में फंसाए जाने की बात कहने और विपक्ष द्वारा लड़ी जा रही लड़ाई में ‘नायक’ के तौर पेश करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं, वहीं विपक्ष मिश्रा को ‘खलनायक’ बताने में लग गया है। मजे की बात यह है कि इस काम में कांग्रेस को मिश्रा विरोधी भाजपाइयों का भी साथ मिल रहा है।