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जेरुसलम पर अमरीकी रुख की दुनिया भर में निंदा

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जेरुसलम पर अमरीकी रुख की दुनिया भर में निंदा
Worldwide outrage over Trump move on Jerusalem
Worldwide outrage over Trump move on Jerusalem

वाशिंगटन। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जेरुसलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की दुनिया भर में आलोचना शुरू हो गई है, जिसमें अमरीका के कई करीबी देश भी शामिल हैं। क्योंकि डर है कि चरमपंथियों को मजबूती मिल सकती है और इस क्षेत्र की लड़खड़ाती शांति प्रक्रिया नष्ट हो सकती है।

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार को ट्रंप के निर्णय को ‘ऐतिहासिक दिन’ बताया था और इस फैसले को शांति के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया था। लेकिन क्रुद्ध फिलिस्तीनीयों ने इस कदम की निंदा की और चेतावनी दी कि इससे शांति मध्मस्थ के रूप में अमरीका की भूमिका कम हो सकती है।

फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इस निर्णय को निंदनीय बताया और कहा कि इससे फिलिस्तीन राज्य की अनन्त राजधानी के रूप में जेरुसलम की स्थिति नहीं बदलेगी। फिलिस्तीनी नागरिक इस फैसले के विरोध में गाजा और वेस्ट बैंक की सड़कों पर उतर आए।

कट्टरपंथी हमास ने शुक्रवार को क्रोध के दिन के रूप में मनाने का आह्वान किया और कहा कि यह निर्णय इस क्षेत्र में अमरीकी हितों के लिए नरक के दरवाजे खोलेगा।

वाशिंगटन में एक ऐतिहासिक भाषण में ट्रंप ने जेरुसलम को राजधानी के रूप में मान्यता देने से, इजराइल-फिलिस्तीनी शांति प्रक्रिया पटरी से उतरने और मध्य पूर्व में अशांति पैदा होने की चेतावनियों को अनसुना करते हुए, दशकों की अमरीकी नीति को पलटते हुए यह घोषणा की थी।

ट्रंप ने प्रचार अभियान में किए गए वादे को पूरा करते हुए कहा कि अमरीका के सर्वोत्तम हितों के साथ इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच शांति की बहाली के लिए यह निर्णय लिया गया है।

उन्होंने कहा कि वह अमरीकी दूतावास को तेल अवीव से जेरुसलम ले जाने की तैयारी शुरू करने के लिए विदेश विभाग से कहेंगे। ट्रंप ने कहा कि अमरीका अभी भी लंबे समय से चल रहे इजराइल-फिलिस्तीन द्वंद में दो देश बनाने के समाधान पर कायम है, अगर इसे दोनों पक्षों द्वारा मंजूरी दी जाती है।

अमरीका के पिछले कई राष्ट्रपतियों ने जोर दिया था कि जेरुसलम की स्थिति का फैसला दोनों पक्षों के बीच समझौते से किया जाना चाहिए। जेरुसलम यहूदी, मुस्लिम और ईसाई धर्मों के लिए पवित्र स्थान है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 देशों में से आठ देशों ने इस पर आपातकालीन सत्र बुलाया है, जहां शुक्रवार को इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। अरब लीग इस मुद्दे पर शनिवार को बैठक करेगी।अमरीका के सहयोगी देशों समेत अरब और मुस्लिम बहुल देशों ने ट्रंप की इस घोषणा की निंदा की है।

समाचार एजेंसी डब्लूएएम की खबर के मुताबिक सऊदी रॉयल कोर्ट ने चेतावनी दी कि इस तरह के गैर जिम्मेदाराना और अनुचित कदम के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। संयुक्त अरब अमीरात ने निर्णय के नतीजों के बारे में ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की है।

लेबनान के समर्थक हिजबुल्ला अल अखबार ने गुरुवार को इस फैसले को अपने मुख पृष्ठ पर ‘अमरीका के मौत’ की घोषणा की। राष्ट्रपति हसन रोहनी ने कहा कि ईरान इस्लामी पवित्रता का उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा। मुसलमानों को इस बड़े साजिश के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।

तुर्की के राष्ट्रपति रीसप एर्दोगान ने कहा कि अमरीका का फैसला ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि मनुष्यता की चेतना के लिए गंभीर झटका है। इस्तांबुल में अमरीकी वाणिज्य दूतावास के बाहर प्रदर्शन हुए।

भारत ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि फिलिस्तीन पर उसकी स्थिति स्वतंत्र और सुसंगत है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि यह बड़ी चिंता का एक क्षण है। उन्होंने कहा कि दो अलग देश बनाने के अलावा कोई समाधान नहीं है।

फिलिस्तीनियों ने पूर्वी जेरुसलम को भविष्य के देश की राजधानी माना है, और 1993 में इजरायल-फिलिस्तीन शांति समझौते के अनुसार इसकी अंतिम स्थिति पर चर्चा शांति वार्ता के बाद के चरणों में की जानी है।