एनएचआरसी ने सुंदरगढ़ में मां-बेटी के नग्न घूमने पर एटीआर मांगी

केंद्रपाड़ा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने ओड़िशा में एक महिला और उसकी बेटी के बिना किसी से मदद और सहायता के दिनदहाड़े व्यस्त सड़क पर नग्न घूमने की घटना पर सुंदरगढ़ कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) मांगी है।

एनएचआरसी ने मानवाधिकार कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए सोमवार को निर्देश जारी किया। त्रिपाठी ने महिला और उसकी बेटी के दिन में नग्न घूमने की घृणित घटना को उजागर किया था।

याचिकाकर्ता ने कहा कि पिछले छह अक्टूबर को महिला और उसकी बेटी को ओडिशा के सुंदरगढ़ शहर की सबसे व्यस्त सड़कों में से एक कॉलेज रोड पर नग्न अवस्था में घूमते हुए पाया गया था। इससे पहले, पीड़ितों, जो दर्दनाक स्थिति में थे, ने बताया कि वे झारखंड के निकटवर्ती सिमडेगा जिले के सीमावर्ती गांव खैरीमुंडा के रहने वाले हैं।

इसके बाद, 40 साल की महिला और 20 साल की उसकी बेटी, जो वर्तमान में सुंदरगढ़ शहर के रंगाधिपा में स्थित मानसिक रूप से बीमार महिलाओं के लिए आश्रय स्थल आस्था गृह में इलाज करा रही हैं, ने कहा कि वे छत्तीसगढ़ से हैं। उन्होंने अपने राज्य से ओडिशा तक पैदल यात्रा के दौरान यौन उत्पीड़न और शील भंग करने का आरोप लगाया।

उन्हें स्थानीय विधायक ने देखा, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सरकारी मशीनरी उन्हें सुंदरगढ़ के आस्था गृह में रखे। महिला की तीन बेटियां हैं। महिला के पति की मृत्यु के बाद एक व्यक्ति ने उसके साथ बलात्कार किया। दिल्ली गई बेटी वापस लौट आई और दरिंदगी का सामना करना पड़ा।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मां बेटी की दुर्दशा और अत्यधिक दर्द को सहन करने में असमर्थ थी, मानसिक संतुलन खो बैठी और नग्न होकर चल पड़ी और दर्शकों और सरकार की सहायता के बिना सुंदरगढ़ में उतर गई। न तो सरकारी मशीनरी और न ही नागरिक समाज उनकी मदद के लिए आगे आ सका। त्रिपाठी ने कहा कि अपराधी को दंडित करने और पीड़ितों के पुनर्वास में छत्तीसगढ़ सरकार की विफलता मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।

एनएचआरसी के आदेश में कहा गया है कि तत्काल कार्रवाई की प्रति सूचना के लिए और अधिकारियों द्वारा आयोग के निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए ओडिशा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भेजी जाएगी।

आयोग ने कहा कि शिकायत की एक प्रति संबंधित राज्य मानवाधिकार आयोग के सचिव को भी प्रेषित की जाए, जिसमें उनसे इस आयोग को मामले में उनके स्तर पर लिए गए संज्ञान की तारीख, यदि कोई हो, को चार सप्ताह के भीतर सूचित करने को कहा गया है।