जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक सेवानिवृत्त कर्मचारी का बकाया भुगतान नहीं करने पर राजस्थान राज्य बुनकर सहकारी संघ लिमिटेड, जयपुर के प्रबंध निदेशक को कड़ी फटकार लगाई है। उच्च न्यायालय ने प्रबंध निदेशक महावीर प्रसाद मीणा द्वारा दायर अतिरिक्त हलफनामे में दी गई जानकारी पर हैरानी जताते हुए कहा कि संघ के खाते में पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद सेवानिवृत्त कर्मचारी को समय पर बकाया वेतन का भुगतान क्यों नहीं किया गया।
उच्च न्यायालय ने इस बात पर हैरानी जताई कि संघ ने वित्त वर्ष में सिर्फ कार के रखरखाव पर ही नौ लाख 55 हजार रुपए खर्च कर दिए और दीपावली पर एक लाख 49 हजार रुपए खर्च किए गए, लेकिन कर्मचारी का बकाया भुगतान नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने बुधवार को कहा कि सेवानिवृत्त याचिकाकर्ता को ग्रेच्युटी दो वर्ष की देरी से, बकाया वेतन दो वर्ष से भी अधिक समय बाद और अवकाश की राशि का आंशिक भुगतान सेवानिवृत्ति के चार वर्ष बाद भी नहीं किया गया। एकलपीठ ने कहा कि केवल सहकारी संघ को हानि होने का कारण बताकर किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी का बकाया वेतन नहीं रोका जा सकता।
संघ के खाते में पर्याप्त राशि होने के बावजूद भी सेवानिवृत्त कर्मचारी का बकाया भुगतान 10 वर्ष बाद भी नहीं करने और उसका उचित कारण न बताने पर सख्त नाराजगी जताते हुए एकलपीठ ने संघ के प्रबंध निदेशक को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से या फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 24 सितम्बर को न्यायालय में पेश होकर बकाया भुगतान में हुई देरी का कारण बताने के आदेश दिए हैं।
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता अजीत सिंह कटियार राजस्थान राज्य बुनकर सहकारी संघ लिमिटेड जयपुर से 30 सितम्बर 2015 को सेवानिवृत्त हुए, लेकिन उन्हें सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले परिलाभों के साथ ही उनके अवकाश नकदी और अन्य लाभ का भुगतान नहीं किया गया। दस वर्ष का समय बीतने के बावजूद बकाया वेतन और लाभ का भुगतान नहीं करने पर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।