
सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही के प्रमुख रामझरोखा मंदिर की जमीनों को खुर्दबुर्द करने का मामला पूरे उबाल पर है। हिन्दुत्व की फरमाबदार होने का दावा करने वाली राजनीतिक पार्टी भाजपा के राज में ये काम हुआ है तो और भी ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। इस पर भी जब राज्य के पूर्व देवस्थान मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में ये होता है तो अति संवेदनशील हो जाता है।
इस मंदिर की जमीन को खुर्दबुर्द करने के लिए दो दस्तावेज सामने आए। एक निजी स्कूल को दी गई 99 साल की लीज डीड। दूसरा नगर पालिका से जारी पट्टे। यूं दावा ये भी किया जा रहा है कि और भी संपत्तियो को खुर्दबुर्द किया गया है। पट्टे और फिर रजिस्ट्री की पत्रावली में भी दो दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है। एक विक्रय इकरारनामा दूसरा महंत का शपथ पत्र। इनमें महंत के द्वारा दो वसीयतों को जिक्र किया गया है। जिसके माध्यम से उन्होंने खुदको रामझरोखा की संपत्ति का एकमात्र विधिक उत्तराधिकारी बताया गया है।
एक वसीयत जिसका जिक्र विक्रय इकरारनामे में किया गया है उसकी तारीख 8 मार्च 2001 है। वहीं नगर परिषद सिरोही में महंत के द्वारा जो शपथ पत्र दिया गया है उसमें वसीयत की तिथि 20 मार्च 2001 का जिक्र है। लेकिन, कानूनी प्रावधान ये कहता है कि रजिस्ट्री पहली और वसीयत सबसे बाद वाली मान्य होती है। ऐसे में 20 मार्च 2001 कर वसीयत के बनते ही उससे 12 दिन पहले 8 मार्च को बनाई गई वसीयत रद्द हो जाती है।
-क्या लिखा है पहली वसीयत में
रामझरोखा के महंत जयराम दास की एक वसीयत जिसका जिक्र करके संपत्तियों को खुर्दबुर्द किया जा रहा है वो 8 मार्च 2001 की है। इस वसीयत की प्रतिलिपि नियंत्रण एवं सलाहकार समिति को मिली है। तीन पृष्ठ की इस वसीयत में सात बिंदुओं में महंत जयरामदास ने रामझरोखा, राजगुरुद्वारा समेत उनके अधीन सिरोही जिले में आने वाली तमाम संपत्तियों का जिक्र किया है। इस वसीयत में उन्होंने अपने चेले सीताराम दास को अपनी संपत्तियों का एकमात्र विधिक उत्तराधिकारी बताया है।
इसके अलावा इस वसीयत में इन संपत्तियों का उपभोग-उपयोग के साथ-साथ बेचान, रेहन व अन्य किसी भी तरह से हस्तांतरित करने का अधिकारी सिर्फ सीताराम दास को ही दिया है। ये वसीयत जोधपुर के किसी नोटेरी या ओथ कमिश्नर से अटेचटेड लग रही है। इस पर साक्षी के रूप में देवाराम कुम्हार और नटवरलाल पटेल के हस्ताक्षर बताए गए हैं। दूसरी वसीयत में बनाई नियंत्रण एवं सलाहकार समिति सदस्यों के अनुसार देवाराम कुम्हार अब नहीं हैं वहीं नटवरलाल ने इसमें उनके हस्ताक्षर होने की मनाही की है। ये वसीयत टाइप की हुई है।
-दूसरी वसीयत का लब्बोलुआब
जयराम दास की दूसरी वसीयत 30 मार्च 2001 की है। इसमें भी 8 मार्च की पहली वसीयत की तरह 7 बिंदुओं में रामझरोखा व राजद्वारा की संपत्तियों का उल्लेख किया गया है। हस्तलिखित इस वसीयत में भी जयराम दास ने अपने चेले को अपना एकमात्र विधिक उत्तराधिकारी बताते हुए उनके नाम पर दर्ज सभी संपत्तियों के उपयोग व उपभोग का अधिकार दिया है। लेकिन, इस वसीयत में पहली वसीयत के कुछ अधिकार सीतारामदास को नहीं दिए गए हैं।
इस वसीयत में संपत्तियों के बेचान, रेहन और अन्य किसी भी तरह के हस्तांतरण के अधिकारी सीतारामदास को अकेले नहीं दिए गए। ये अधिकार एक ग्यारह सदस्यीय नियंत्रण और सलाहकार समिति बनाकर उसके अधीन कर दिए गए थे। भविष्य में जरूरत होने पर सीताराम दास इस समिति की सहमति से बेचान, रेहन व हस्तांतरित करने के अधिकारी थे।
इस समिति को अपने नियम कायदे बनाने के अधिकार थे। इतना ही नहीं जयरामदास की इस वसीयत में वसीयतग्राहिता, जो कि सीतारामदास हैं, के किसी तरह के अमर्यादित आचरण होने पर नियंत्रण एवं सलाहकार समिति को इनको हटाकर किसी योग्य साधु को उनके स्थान पर उत्तराधिकारी बनाने का अधिकार दिया गया है।
वसीयत में ये बाध्यता थी कि नियंत्रण एवं सलाहकार समिति के नियमों को मानना सीतारामदास की बाध्यता होगी। वे जयराम दास की ट्रस्ट की सभी संपत्तियों के उत्तराधिकारी तो होंगे लेकिन, उनके क्रियाकलाप समिति के अधीन नियंत्रित होंगें। ये वसीयत अहमदाबाद में नोटेरी की हुई है। वर्तमान सारी आपत्तियां इसी नियंत्रण एवं सलाहकार समिति के द्वारा लगाई गई है। उनका दावा है कि किसी भी संपत्ति के बेचान, रेहन और हस्तांतरण का प्रस्ताव समिति के द्वारा नहीं लिया गया है।
– वसीयत में कौन-कौन सी संपत्तियां
जयराम दास ने अपनी दोनों ही वसीयतों में अपनी संपत्तियों का खुलासा किया है। इसमें माधव नागरिक बैंक सिरोही में बचत खाता, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयापुर शारता सिरोही में लचत खाता, मारवाड ग्रामीण बैंक शाखा सिरोही में बचत खाता। राजगुरुस्थान सिरोही एवं अधीनस्थ तमाम चल अचल संपत्तियां। रामइतरोखा सिरोही एवं अधीनस्थ तमाम चल अचल संपत्तियाँ जिसमे राजमाता धर्मशाला सिरोही के सामने की तमाम जायदाद, आबूरोड में स्थित संपत्तियों, पेशवा में कृषि कुआं एवं मनादर में कृषि कुआं। महामंदिर (राम लक्ष्मण मंदिर) का परवाना जो तत्कालीन सिरोही रियासत द्वारा जारी किया गया था इसकी तमाम चल अचल संपत्तियाँ।
इसके अलावा राजगुरुस्थान सिरोही के अधीनस्थ लाज गांव (जिजगट) तहसील पिण्डवाडा में स्थित महत राधिका दासजी की धूणी परिसर एवं कृषि भूमि आदि। तत्कालीन सिरोही रियासत द्वारा राजगुरु के पक्ष में जारी परवाना में दर्ज संपत्तियां यथा द्वारकाधीश मंदिर रोहिडा व इसी कृषि भूमि आदि व उक्त परवाना में दर्ज तमाम संपत्तियाँ एवं ज्ञान सागर कुंए के पट्टे में दर्ज जमीने आदि जो सिरोही से शिवगंज रोड पर स्थित है। सिरोही से शिवगंज राजमार्ग पर कोलर जी के आगे कृषि कुआं आदि की तमाम संपति। ये सभी वो संपत्तियां हैं जिनका जिक्र जयरामदास ने अपनी दोनों वसीयतों में किया है।
– ये लोग थे नियंत्रण एवं सलाहकार समिति में
जयरामदास ने अपनी दूसरी वसीयत में सीतारामदास के आचरण पर नियंत्रण रखने के लिए जो नियंत्रण एवं सलाहकार समिति बनाई थी उसमें ग्यारह सदस्य शामिल थे। इनमें सिरोही के सारणेश्वर के रामलाल, सिरोही के तिलक काशिवा, सिरोही ब्रह्मपुरी के रमेश व्यास, बडोदा हके नटवरलाल पटेल, मेहसाणा के दिलीप भाई पटेल, लंदन के प्रवीण भाई त्रिवेदी, मेहसाणा के दशरथ भाई पटेल, आबूरोड के एडवोकेट अविनाश शर्मा, अहमदाबाद राणिप के उमेश भाई, मेहसाणा के मनुभाई पटेल तथा सिरोही के देवाराम कुम्हार शामिल थे।
इनमें से कुछ की मृत्यु भी हो गई है। उनके स्थान पर समिति ने बैठक करके नए सदस्यों को नियुक्त कर दिया है। इसी समिति के सदस्य देवाराम और नटवर पटेल के हस्ताक्षर साक्षी के रूप में पहली वसीयत में बताए जा रहे हैं। नटवर पटेल फिलहाल नियंत्रण एवं सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं। इनका कहना है कि पहली वसीयत में उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं। वो गुजराती में हस्ताक्षर करते हैं जबकि पहली वसीयत के हस्ताक्षर हिन्दी में हैं।


