नई शिक्षा नीति में प्राचीन ज्ञान की धरोहर, होगा विकास का मार्ग प्रशस्त : राज्यपाल कलराज मिश्र

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का दशम दीक्षांत समारोह
विद्यार्थियों को प्रदान किए गए मैडल और उपाधि
अजमेर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति प्राचीन ज्ञान के आलोक में समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी। इससे विद्यार्थी हमारी संस्कृति से जुड़े जीवन मूल्यों में आधुनिक विकास की ओर अग्रसर हो सकेंगे। भारतीय विश्वविद्यालयों को वैश्विक रैंकिंग में स्थान दिलाने के लिए नई शिक्षा नीति के तहत काम किया जाए ताकि विद्यार्थी के चिंतन में बदलाव आए। वह रोजगार मांगने के बजाए देने की सोच विकसित करे।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने बुधवार को अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में आयोजित दशम दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जिस शिक्षा के जरिए शिक्षार्थी के सर्वांगीण विकास की बात कहते हैं उसका मूल आधार प्राचीन भारतीय ज्ञान की विशाल धरोहर है।

नई शिक्षा नीति में भी प्राचीन भारतीय ज्ञान के आलोक में ऐसे पाठ्यक्रमों के निर्माण पर जोर दिया गया है। ताकि विद्यार्थी हमारी संस्कृति से जुड़े जीवन मूल्यों में आधुनिक विकास की ओर अग्रसर हो सके। नई शिक्षा नीति उच्च शिक्षा के हमारे पूरे परिदृश्य को रूपांतरित कर भारत को पुनः विश्वगुरू के रूप में स्थापित करने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण पहल है।

इसमें ऐसे अनुसंधान और शिक्षण से जुड़े विश्वविद्यालयों की स्थापना पर जोर है जिससे विद्यार्थी नवाचार एवं नए विषयों के अन्वेषण के लिए प्रेरित हो सकें। एक बड़ी बात इस नई शिक्षा नीति की यह भी है कि इसमें आदिवासी और स्वदेशी ज्ञान सहित भारतीय ज्ञान प्रणालियों को सटीक और वैज्ञानिक तरीके से पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने पर जोर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति ऐसे आकांक्षी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने वाली है जिसमें बड़ी संख्या में छात्रा आर्थिक, सामाजिक या जाति बाधाओं का सामना कर रहे हैं। इस शिक्षा नीति के तहत ऐसे जिलों को ‘विशेष शैक्षिक क्षेत्रा’ के रूप में नामित कर उनके विकास की बात कही गयी है। आज उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) केवल 27.1 प्रतिशत है, जो कि विश्व की तुलना में बहुत कम है, यह चिन्ता का विषय है।

हमें इस अनुपात को बढ़ाने के लिए योजनाबद्ध रूप से लगातार काम करना होगा। नई शिक्षा नीति में इस बात को ध्यान में रखते हुए ही वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में नामांकन दर 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। नई शिक्षा नीति के यह जो लक्ष्य है वह तभी प्राप्त किए जा सकते हैं जब हम विश्वविद्यालयों में इस नीति की मंशा के अनुरूप कार्य को आगे बढ़ाएं।

उन्होंने कहा कि ऐसे पाठ्यक्रम और नवाचार विश्वविद्यालय करें जिनसे उच्च शिक्षा में गुणवत्ता मे सुधार के साथ ही नामांकन वृद्धि हो। अभी हमारे विश्वविद्यालयों की रैकिंग बहुत अच्छी नहीं है। विश्वविद्यालयों की ग्लोबल रैकिंग बढ़ाने के लिए भी वहां नई शिक्षा नीति के आलोक में ऐसा माहौल तैयार किया जाए जिससे विश्वविद्यालयों में विद्यार्थी के चिंतन में बदलाव आए। वह रोजगार प्राप्त करने की बजाय रोजगार देने की सोच से जुड़े। पढ़ाने वालों को भी चाहिए कि वह युग के अनुरूप शिक्षण के लिए अपने आपको निरंतर अपडेट रखे।

स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने हमारे यहां सबसे पहले ‘वेद की ओर वापस चलो‘ का नारा देते हुए समाज को रूढ़ियों और कुरूतियों से निकलकर स्वस्थ जीवन मूल्यों के जरिए आगे बढ़ने का शंखनाद किया था। उनके जीवन दर्शन में उस नैतिक शिक्षा पर ही अधिक जोर दिया गया है जिसमें मानवीय सद्गुणों का विकास करते हुए विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता मिलती है। उन्होंने शिक्षकों और माता-पिताओं को स्वयं अपने आचरण से आदर्श प्रस्तुत करने का आह्वान किया था।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति में स्वामी दयानंद जी के इन विचारों को आगे बढ़ाने के लिए यह विश्वविद्यालय विशिष्ट शोध परियाजनाओं के तहत भविष्य में कार्य करें। दयानंद जी के जन्म को 200 वर्ष बीतने जा रहे हैं। पूरे विश्व में उनकी दो सौ वर्षीय जन्म शताब्दी कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। राजस्थान की धरती उनकी कर्मभूमि रही है। यहीं उन्होंने पुष्कर में ब्रहृमा मंदिर में निर्मित एक कुटिया में बैठकर वेदों का भाष्य आरम्भ किया। यही उनका निर्वाण हुआ।

कोई भी विश्वविद्यालय वहां की सुंदर इमारतों से अपनी पहचान नहीं बनाता है, वह पहचान बनाता है वहां उपलब्ध ज्ञान की परम्परा से। इसलिए यह जरूरी है कि विश्वविद्यालयों में इस तरह के ज्ञान और शोध संस्कृति का प्रसार किया जाए जिससे जीवन को नई दिशा मिले। जिससे भारतीय सनातन ज्ञान को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में आगे बढ़ाया जा सके। शिक्षा जीवन में आगे बढ़ने की राह बनने के साथ ही मानवीय मूल्यों और संस्कारों से जुड़ी होगी, तभी उसकी सार्थकता है। इसी के लिए हमें अधिकाधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

विश्वविद्यालय भी स्थानीय उद्योगों से समन्वय स्थापित कर ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रबंधन कौशल के साथ उद्यमिता के नवाचारों को बढ़ावा मिले जिससे भविष्य में विद्यार्थियों के कौशल का देश के विकास में अधिकाधिक उपयोग हो सकें। नई शिक्षा नीति के आधार पर हम अपने पाठ्यक्रमों को आधुनिक करें। प्रयास यह भी करें कि विद्यार्थी शिक्षा के लिए विदेशों का रूख न करें। उन्हें यहीं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। शिक्षा तन्त्रा में इस प्रकार की पहल हो कि प्राप्त की गई शिक्षा भारत की संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ हमारे ग्रामीण जीवन और शहरी जीवन के बीच सेतु बन जाए।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि राजस्थान के शैक्षणिक विकास में विश्वविद्यालयों की अहम भूमिका है। दीक्षांत का यह दिन युवाओं के लिए गर्व का दिन है। सीखने की प्रक्रिया जीवन भर चलती है। स्वाध्याय का रथ कभी नहीं रूकना चाहिए।

यादव ने कहा कि युवा देश का भविष्य हैं। युवा अपने ज्ञान को गहरा एवं व्यापक बनाएं, इसमें प्राचीनता और नवीनता का समावेश हो। टीम वर्क और उच्च मूल्य के आदर्शों को अपनाएं। मुख्यमंत्राी अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्रा में बेहतरीन कार्य किया है। वर्ष 2018 से अब तक कई नए काॅलेज खोले गए हैं।

कुलपति प्रो अनिल शुक्ल ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि दीक्षांत समारोह में 179 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए। साथ ही अपाला छात्रावास और आधुनिक सुविधाओं युक्त स्वराज सभागार का लोकार्पण किया गया। छात्रों ने परम्परानुसार सफेद कुर्ता-पायजामा और छात्राओं ने लाल किनारे वाली सफेद साड़ी पहनी। इससे पूर्व राज्यपाल का अजमेर आगमन पर सांसद भागीरथ चैधरी, पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत, संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा, कलक्टर अंश दीप एवं पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट ने स्वागत किया।

इन्हें मिला चांसलर मेडल

ज्योति तुंदवाल-आरेखन एवं चित्राण, धारणा बोहरा-माइक्रोबायलाॅजी, नेहा शर्मा-लेखांकन एवं व्या. प्रशासन, मधु सोनी-अंग्रेजी, अदिति शर्मा-भूगोल

मिश्र ने पुष्कर के पवित्र सरोवर पर पूजा अर्चना की

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने आज अजमेर के तीर्थराज पुष्कर के पवित्र सरोवर के ब्रह्म घाट पर पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की। मिश्र ने अजमेर से पुष्कर पहुंचकर पुष्कर सरोवर पर पूरी तनमयता के साथ पूजा कर राज्य में खुशहाली एवं स्मृद्घि की कामना की। ब्रह्म घाट पर सांसद भागीरथ चौधरी पूर्व राज्यसभा सांसद ओंकारसिंह लखावत संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा क्लकटर अंशदीप पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट मौजूद रहे।

एमडीएस विश्वविद्यालय में चार दिन का रहेगा अवकाश

राजस्थान में अजमेर के महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में आगामी चार दिन अवकाश रहेगा। कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला ने आज दसवें दीक्षांत समारोह के सफल समापन के बाद 16 फरवरी का अवकाश घोषित किया है जबकि 17 फरवरी का अवकाश द्वितीय शनिवार दिनांक 11 फरवरी 2023 की एवज में किया गया। साथ ही 18 फरवरी को महाशिवरात्रि और 19 फरवरी को रविवार होने से विश्वविद्यालय में चार दिन अवकाश रहेगा। मीडिया प्रभारी डॉ. मदन मीना ने बताया कि विश्वविद्यालय 20 फरवरी 2023 को पुनः खुलेगा। साथ ही पूर्व निर्धारित परीक्षा कार्यक्रम यथावत रहेंगे।