आरएसएस मार्च : हाईकोर्ट ने 10 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध पर रोक बरकरार रखी

बेंगलूरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक हटाने से इनकार कर दिया, जिसमें 10 से अधिक लोगों के अनधिकृत सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाया गया था। न्यायमूर्ति एसजी पंडित और न्यायमूर्ति गीता केबी की पीठ ने राज्य की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें 28 अक्टूबर को एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना द्वारा पारित अंतरिम आदेश को पलटने की मांग की गई थी।

एकल न्यायाधीश ने सरकारी आदेश पर रोक लगाते हुए कहा था कि यह प्रथम दृष्टया अभिव्यक्ति और एकत्र होने की स्वतंत्रता सहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, और इस बात पर ज़ोर दिया था कि उचित विधायी समर्थन के बिना ऐसे अधिकारों को कम नहीं किया जा सकता। राज्य की ओर से महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने अनुरोध किया कि पीठ इस रोक के प्रभाव को केवल उन याचिकाकर्ताओं तक सीमित रखे जिन्होंने आदेश को चुनौती दी थी।
पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया और राज्य को सीधे एकल न्यायाधीश के पास जाने की सलाह दी।

सरकारी आदेश को चार याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी, जिनमें पुनर्चेतना सेवा समस्त, वी केयर फाउंडेशन और धारवाड़ व बेलगावी के दो व्यक्ति शामिल थे। इन याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह प्रतिबंध उनके शांतिपूर्ण एकत्र होने के अधिकार को प्रभावित करता है। पीठ ने कहा कि सभी दलीलें खुली हैं और राज्य को प्रोत्साहित किया कि यदि वह अंतरिम आदेश को रद्द करना चाहता है तो वह एकल न्यायाधीश के समक्ष आवेदन दायर करे।

सड़कों, पार्कों और खेल के मैदानों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाने के लिए 18 अक्टूबर को जारी किया गया यह आदेश कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा अपनी 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रस्तावित मार्च की पृष्ठभूमि में जारी किया गया था।