नई दिल्ली। भारत और अमरीका के व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाल के बयानों से दोनों पक्षों के बीच व्यापार समझौते के जल्द होने की उम्मीद जग गयी है।
ट्रम्प ने इसी माह भारत और अमरीका के आपसी संबंधों के महत्व और प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी दोस्ती को लेकर सोशल मीडिया पर दो बार बयान दिये। मोदी ने भी दोनों बार उनका सोशल मीडिया पर रचनात्मक और उत्साह जनक जवाब दिया है।
भारत के निर्यात पर अमरीका में 50 प्रतिशत का भारी आयात शुल्क लागू किए जाने के से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बना हुआ है। भारत में अमरीकी राष्ट्रपति के उन बयानों को भी अच्छी दृष्टि से नहीं देखा गया है जिनमें उन्होंने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच भड़के सैन्य संघर्ष को व्यापार संबंध खत्म करने की धमकी के जरिये रुकवाने का दावा किया गया था।
ट्रम्प ने अमरीकी समय के अनुसार मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमरीका दोनों देशों के बीच व्यापार की बाधाओं के समाधान के लिए बातचीत में लगे हुए हैं। मुझे आने वाले सप्ताहों में अपने बहुत अच्छे मित्र प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत की प्रतीक्षा है। मुझे यकीन है कि हमारे दोनों महान देशों के लिए सफल समापन तक पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
इसके जवाब में आज मोदी ने एक्स पर लिखा कि भारत और अमरीका आपस में गहरे मित्र और स्वाभाविक भागीदार हैं। मुझे विश्वास है कि हमारी व्यापार वार्ताओं से भारत-अमरीका भागीदारी की असीम संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त होगा।
मोदी ने कहा कि हमारी टीमें इन वार्ताओं को अतिशीघ्र सम्पन्न करने के लिए प्रयासरत हैं। मुझे भी राष्ट्रपति ट्रम्प से बातचीत की प्रतीक्षा है। हम दोनों देशों की जनता के अधिक उज्ज्चल और समृद्ध भविष्य के लिए मिल कर काम करेंगे।
ट्रंप ने इससे पहले गत शुक्रवार को भारत के साथ रिश्तों को बेहद खास बताते हुए कहा था कि वह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा अच्छे दोस्त रहेंगे। मोदी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा था कि वह बहुत अच्छे प्रधानमंत्री हैं। दोनों देशों के संबंधों के बारे में ट्रंप ने कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है और उनकी प्रधानमंत्री मोदी के साथ अच्छी बनती है।
अमरीकी राष्ट्रपति ने साथ ही यह भी कहा था कि उन्हें भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर नाराजगी भी है। उन्होंने जोड़ा था कि दो देशों के बीच कभी-कभी इस तरह की बातें हो जाती हैं।
उनके उस बयान के जवाब में मोदी ने शनिवार को बड़ी सकारात्मक प्रतिक्रिया करते हुए कहा था कि वह ट्रंप की भावनाओं का सम्मान करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि राष्ट्रपति ट्रम्प की भावनाओं और हमारे संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की हम तहे दिल से सराहना करते हैं और उनका पूर्ण समर्थन करते हैं। भारत और अमरीका के बीच एक अत्यंत सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक एवं वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।
उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने इससे पहले चीन में प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद कहा था कि लगता है हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।
ट्रम्प ने एक अधिशासी आदेश के जरिये भात पर अगस्त में सात तारीख से 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया था। उसके बाद उन्होंने रुस से तेल खरीदने के खिलाफ भारत को दंडित करने के लिए 25 प्रतिशत का आयात शुल्क और लगा दिया।
अमरीका के साथ व्यापारिक संबंधों में यह तनाव ऐसे समय आया जब देनों देशों में द्विपीक्षीय व्यापर समझौते (बीटीए) के लिए बातचीत चल रही थी और इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर तक समझौता हो जाने की उम्मीद थी। लेकिन ट्रम्प द्वारा भारत सहित दुनिया के तमाम देशों के खिलाफ जुलाई के प्रारंभ में शुल्क लगाने की घोषणाओं के साथ भारत पर रूस से तेल खरीद बंद करने के लिए अमरीका की ओर से दबाव बढ़ने लगा था।
अमरीका ने व्यापार वार्ता के लिए अगस्त के तीसरे सप्ताह में आने वाले व्यापार वार्ता दल की यात्रा रोक दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत अपने किसानों, मछुआरों, पशुपालकों और सूक्ष्म और लघु उद्यमों के हित के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने देश की जनता और व्यावसायिक समुदाय से स्वदेशी अपनाने का आह्वान भी किया है।
अमरीका भारत का प्रमुख व्यापारिक भागीदार है। साल 2024 में दोनों देशों का व्यापार 212 अरब डालर के बराबर था जिसमें करीब 129 अरब डालर का वस्तु व्यापार था। भारत ने उस वर्ष अमरीका को 87 अरब डालर की वस्तुओं का निर्यात किया था। दोनों देशों के बीच सेवा व्यापार 83 अरब डालर से कुछ अधिक का था जिसमें संतुलन थोड़ा अमेरिका के पक्ष में था।
ट्रम्प की व्यापार शुल्क नीति का उनके देश में भी विरोध हो रहा है। अमरीका के संघीय न्यायालय की कई पीठों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अधिशासी आदेश से व्यापारिक भागीदारों पर शुल्क लगाने के उनके निर्णय को अधिकार सीमा का उल्लंघन बताते हुए निरस्त कर दिया है।
मुक्त व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन कट्स इंटरनेशनल के प्रदीप मेहता का कहना है कि व्यापार वार्ता में अमेरिका की ओर से यदि भारत के सबसे बड़े हितों पर अत्यधिक या अनुपातहीन रियायतों की मांग की जाती है, तो भारत को भी उतना ही कड़ा रुख अपनाना चाहिए और विरोध करना चाहिए भले ही इसके लिए समझौता न होने की कीमत चुकानी पड़े। कट्स का मानना है कि इन परिस्थितियों में, समझौता न होने की लागत एक असमान समझौते की दीर्घकालिक लागतों से कम ही होगी।