साड़ियों का आकर्षण और खूबसूरती है सदाबहार

21 दिसंबर-विश्व साड़ी दिवस पर विशेष
भारतीय महिलाओं के लिए जब भी पांरपरिक पहनावे की बात सामने आती है तब सबसे पहले साड़ी की ही बात होती है। पूजा हो या शादी अथवा कोई पार्टी समारोह, ऐसे मौको पर महिलाएं साड़ी को ही तरजीह देती हैं।

साड़ी भारतीय महिलाओं की परंपरा रही है जिसका निर्वहन आज भी बड़ी खूबसूरती के साथ किया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण परिचायक पोशाक को अब विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता है।

माना जाता है कि साड़ी का इतिहास 3000 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। साड़ी नाम संस्कृत शब्द सारिका से लिया गया है, जिसका मतलब कपड़े का लंबा टुकड़ा होता है।

साड़ियों के डिजायन और पहनावे की शैलियां अलग –अलग हैं और ये भौगोलिक स्थिति और पारंपरिक मूल्यों और रुचियों पर निर्भर करती हैं। अलग-अलग शैली की साड़ियों में कांजीवरम साड़ी, बनारसी साड़ी,पटोला साड़ी और हकोबा मुख्य हैं। मध्य प्रदेश की चंदेरी, महेश्वरी, मधुबनी छपाई, असम की मूंगा रेशम, ओडिशा की बोमकई, राजस्थान की बंधेज, गुजरात की गठोडा, पटौला, बिहार की टसर, काथा, छत्तीसगढ़ की कोसा रेशम, दिल्ली की रेशमी साड़ियाँ, महाराष्ट्र की पैथानी,तमिलनाडु की कांजीवरम, बनारसी साड़ियां, उत्तर प्रदेश की तांची, जामवर एवं पश्चिम बंगाल की लाल पाड़ (तांत), बालुचरी, मुर्शिदाबादी, टसर सिल्क, जामदानी,कांथा, बाटिक और ढकाई साड़ियां प्रमुख हैं।

आम तौर पर भी पहनावे के दृष्टिकोण से साड़ी और बंगाल एक दूसरे के पर्यायवाची माने जाते हैं और बंगाली महिलाओं का पांरपरिक परिधानों की सूची में साड़ी अव्वल है। बंगाली महिलाओं की सभी शैलियों की साड़ियों में संभवत: सबसे अधिक लोकप्रिय लाल पाड़ वाली साड़ी तांत साड़ी है। यह कहने में भी अतिश्योक्ति न होगी कि ये साड़ियां इन महिलाओं के वार्डरोब का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।

लाल पाड़ साड़ी के नाम से मशहूर लाल बार्डर वाली सफेद सूती साड़ी पश्चिम बंगाल की महिलाओं के पारंपरिक परिधानों का पर्याय है। इस साड़ी में सफेद रंग शुचिता और लाल अथवा मैरुन रंग फलदायता का प्रतीक है और गैर-बंगाली समुदाय के लोग भी रंगो के इस विशिष्ट संयोजन की महत्ता से वाकिफ हैं। सूती धागे से बनी यह साड़ी अपने हल्के रंगो और पारदर्शिता के कारण आकर्षक भी होती है।

बदलते समय के साथ तांत साड़ी में काफी बदलाव आया है और इसकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ी है। आधुनिक तांत साड़ियां विभिन्न किस्मों और डिजायनों में सृजित हुई , जिसमें माडर्न आर्ट को इनमें उकेरा गया है। तांत साड़ियों के अलावा ऐसी अन्य बहुत-सी साड़ियां है जो कमोबेश बंगाली महिलाओं के साथ ही गैर-बंगाली महिलाओं की पसंदीदा है।