लड़ाईयां तो सबने लड़ीं किंतु सगत सिंह का विश्व में हैं बड़ा नाम : कर्नल रणविजय सिंह

विजय दिवस पर मनसंचार व यूथ पल्स की ओर से कार्यक्रम आयोजित
जयपुर। नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया को बनने में जहां वर्षों लग गए, वहीं बांग्लादेश मात्र 13 दिनों में बनाकर सगत सिंह ने विश्व इतिहास बना डाला। सेवानिवृत्त कर्नल रणविजय सिंह शनिवार को विजय दिवस के अवसर पर झारखंड महादेव मोड स्थित सगत सिंह चौक में मनसंचार व यूथ पल्स द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेन्ट जनरल सगत सिंह परम विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त भारतीय सेना के तीन-सितारा रैंक वाले जनरल थे। जिन्होंने गोवा मुक्ति संग्राम और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में अपनी विशिष्ट भूमिका निभाई। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

उन्होंने अपने पिता सगत सिहं को याद करते हुए उनकी उपलब्धियों के बारे में बताया कि 1938 में उन्होंने बीकानेर रियासत की सेना की नौकरी की तथा कुछ समय ईरान में रहे। 1941 में सिंध में अपनी सेवाएं दी। 1945 में उन्हें ब्रिगेड मेजर बनाया गया।

स्वतंत्रता के बाद जब बीकानेर का भारत में विलय हुआ, तब उनके पिता सगत सिंह भारतीय फ़ौज से जुड़ गए। 1950 में उन्हें गोरखा रेजीमेंट में कमीशन किया गया। 1960 तक वो 50वीं पैराशूट ब्रिगेड के कमांडर बन गए। ये भी बड़ी बात है कि ब्रिगेड तब भारतीय सेना की इकलौती पैराशूट ब्रिगेड हुआ करती थी।

रणविजय सिंह ने 1967 के नाथुला दर्रे की रक्षा का वर्णन करते हुए बताया कि सगत सिंह ने चीन को मुंह तोड़ जवाब दिया था। 1971 में पाकिस्तानी फ़ौज के सरेंडर की जो तस्वीर प्रसिद्ध है, उसमें भी जनरल नियाज़ी के पीछे खड़े दिखते हैं।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर लज्जाराम ने कहा कि लड़ाईयां तो सबने लड़ीं हैं, परंतु सगत सिंह का विश्व में जो नाम है वैसा किसी का नहीं है। सेवानिवृत कैप्टन अभिषेक सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि देश में सगत सिंह का योगदान अविस्मरणीय हैं। इस अवसर पर कर्नल रणविजय की बेटियां मेघना और संयोगिता भी इस उपस्थित रहीं।