अजमेर। राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में लाइफ साइंसेज रिसर्च क्लब द्वारा वैज्ञानिक उत्साह और रचनात्मकता के साथ रिसर्च फेस्ट बायोनोवा 2025 का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि प्रो. सुखेश मुखर्जी, ऐम्स भोपाल ने जीवविज्ञान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग: अनुसंधान और व्यवहार का भविष्य विषय पर प्रतिभागियों को जैविक शोध में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के एकीकरण की दिशा में प्रेरित किया और इस क्षेत्र की संभावनाओं को समझाया।
कार्यक्रम के समापन सत्र में माननीय कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने प्रेरणादायक संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने आयोजन की सफलता की सराहना करते हुए स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज की भूमिका को विश्वविद्यालय को एक शोध-केंद्रित संस्था के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने शिक्षण और अनुसंधान की गुणवत्ता की प्रशंसा करते हुए भविष्य में बायोनोवा 2025 को एक व्यापक, बहुविषयक विज्ञान उत्सव के रूप में विस्तार देने की बात कही।
स्वागत भाषण में स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेस के डीन प्रो. सीसी मंडल ने कहा कि लाइफ साइंस रिसर्च क्लब का गठन कुलपति महोदय की स्वीकृति और प्रोत्साहन से हुआ। उन्होंने इसे एक बेहतरीन पहल बताया।
रिसर्च फेस्ट के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें रिसर्च ग्रांट लेखन, टाइटल लेखन, साइंटिफिक डम्ब शराड्स, साइ-फाई कहानी लेखन, मेमोरी टेस्ट, क्विज़ और आकर्षक प्रदर्शनी जैसे कि बायो-वेस्ट आर्ट, एगर आर्ट और साइ-आर्ट शामिल थीं। इन गतिविधियों ने छात्रों की नवाचार क्षमता, संप्रेषण कौशल और वैज्ञानिक समझ को रचनात्मक व बौद्धिक तरीकों से प्रदर्शित किया।
शैक्षणिक प्रतियोगिताओं के साथ-साथ विज्ञान आधारित खेल गतिविधियों का आयोजन भी हुआ, जिसमें शारीरिक सक्रियता के साथ-साथ विज्ञान विषयक चुनौतियाँ शामिल थीं। इन गतिविधियों ने टीम भावना और बहुविषयक सीख को प्रोत्साहित किया। आयोजन के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए, जिनमें छात्रों ने संगीत, नाटक, नृत्य और कविता प्रस्तुतियां दीं।
बतादेंं कि नवंबर 2024 में स्थापित लाइफ साइंसेज रिसर्च क्लब सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान का पहला शोध क्लब है, जिसकी स्थापना का उद्देश्य स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज़ में एक जीवंत, छात्र-नेतृत्वित शोध संस्कृति को बढ़ावा देना है। बायोनोवा 2025 क्लब की पहली प्रमुख वार्षिक गतिविधि रही, जिसमें छात्रों और शोधकर्ताओं को अपने विचारों, नवाचारों और कलात्मक अभिव्यक्तियों को प्रदर्शित करने का मंच मिला। अंत में डॉ. हेमंत दायमा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।