महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय में विश्वबंधुत्व दिवस पर संवाद

अजमेर। महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर के योग एवं मानवीय चेतना विभाग की ओर से स्वामी विवेकानंद के विश्व धर्म संसद के संबोधन के अवसर पर विश्व बंधुत्व दिवस समारोह आयोजित किया गया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल ने स्वामी विवेकानन्द को भारतीय वैदिक परंपरा के राष्ट्रीय और वैश्विक व्यक्तित्व के रूप में सराहा जिसमें उनके क्षेत्रीय सीमाओं से परे प्रभाव को उजागर किया गया। कुलगुरू ने बताया कि विवेकानंद ने भारत के कोने-कोने का दौरा कर देश की महानता का संदेश न केवल देशवासियों, बल्कि उसे विदेशियों तक पहुंचाया, जिसमें उनका ऐतिहासिक ‘शिकागो धर्म संसद’ में हिस्सा लेना सम्मिलित है। राजस्थान विशेष रूप से चर्चा में रहा, जहाँ खेतड़ी के महाराजा अजीत सिंह द्वारा विवेकानंद को शिकागो यात्रा के लिए सहयोग दिया गया–इससे यह सिद्ध हुआ कि राजस्थान की भूमिका उनके वैश्विक सम्मान के मार्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण थी।

कुलगुरू ने विवेकानंद को वेदांत दर्शन के व्यावहारिक प्रवक्ता के रूप में प्रस्तुत करते हुए उनके विचार को शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन का माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ कर्तव्य और नैतिक जिम्मेदारी है जिसे भारतीय परंपरा में जीवनशैली के रूप में परिभाषित किया गया है।

उन्होंने उपस्थित शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम और दैनिक जीवन में धर्मनीति को अपनाने का आह्वान किया, जिससे देश की प्रगति और वैश्विक समरसता का मार्ग प्रशस्त हो सके। स्वामी विवेकानंद को सच्ची श्रद्धांजलि केवल स्मरण में नहीं, बल्कि उनके मूल विचारों को समाज और मानवता की भलाई के लिए व्यवहार में लाने में है।

कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन विवेकानन्द केन्द्र के प्रांत कार्यपद्धति प्रमुख डॉ. स्वतन्त्र शर्मा ने किया। स्वागत उद्बोधन प्रो. मोनिका भटनागर एवं आभार ज्ञापन डॉ. आशीष पारीक ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लारा शर्मा ने किया।