डूसू चुनाव में एबीवीपी का जलवा, अध्यक्ष समेत तीन पदों पर जीत

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डीयूएसयू) चुनावों में इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अध्यक्ष समेत तीन पदों पर जीत हासिल की है। एबीवीपी ने अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल कर एक बार फिर से इतिहास रचा है। जबकि एनएसयूआई को सिर्फ एक पद से ही संतोष करना पड़ा है।

डूसू अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के प्रत्याशी आर्यन मान ने 15 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है और उन्हें कुल 28,841 मत मिले। जबकि एनएसयूआई से अध्यक्ष पद की उम्मीदवार जोसलिन नंदिता चौधरी उर्फ जीतू चौधरी को 12645 मत मिले। अध्यक्ष पद पर कुल 9 उम्मीदवार थे।

उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के राहुल झांसला ने जीत दर्ज की है। राहुल को 29339 मत प्राप्त हुये। उपाध्यक्ष पद पर कुल तीन प्रत्याशी-गोविंद तंवर, राहुल झांसला और सोहन कुमार थे। एबीवीपी के प्रत्याशी गोविंद तंवर को 20547 मत मिले। जबकि लेफ्ट संगठनों के संयुक्त उम्मीदवार सोहन कुमार को 4163 मत ही मिला। तीनों ही बौद्ध अध्ययन विभाग के छात्र हैं।

सचिव पद पर एबीवीपी के कुनाल चौधरी ने जीत दर्ज की है। वह भी बौद्ध अध्ययन विभाग के छात्र हैं। कुनाल को कुल 23779 मत मिले। जबकि एनएसयूआई के उम्मीदवार को 16177 और लेफ्ट प्रत्याशी को 9535 मत मिले।

संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी की दीपिका झा ने जीत दर्ज की है। वह भी बौद्ध अध्ययन विभाग की छात्रा हैं। उन्हें 21850 मत मिला। एनएसयूआई के प्रत्याशी को 17380 मत तो लेफ्ट संगठनों के संयुक्त उम्मीदवार को 8425 मत मिला।

संयुक्त सचिव पद पर अभिषेक कुमार (हिंदू कॉलेज), अक्षिता (भगिनी निवेदिता कॉलेज), अमीलिया ऐन वर्गीस (समाजशास्त्र विभाग), दीपिका झा (बौद्ध अध्ययन विभाग) और लवकुश भड़ाना (जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज) के बीच मुकाबला हुआ था।

डूसू चुनाव से राष्ट्रीय राजनीति में शीर्ष तक सफर करने वाले छात्रनेता

दिल्ली में छात्र राजनीति में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें जीतने वाले कई छात्रनेता राष्ट्रीय राजनीति में उच्च पदों तक पहुंचे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव की शुरुआत 1954 में हुई थी, जब विश्वविद्यालय ने पहली बार छात्रों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया था। धीरे-धीरे यह चुनाव केवल छात्र हितों तक सीमित न रहकर राष्ट्रीय राजनीति का विषय बन गया। अरुण जेटली, अजय माकन, विजय गोयल, अल्का लांबा आदि छात्रसंघ से निकलकर देश की संसद, विधानसभा और मंत्रिमंडल तक पहुंचे। यहां तक की दिल्ली की वर्तमान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी डूसू की अध्यक्ष रही हैं।

अरुण जेटली (एबीवीपी) 1974-75 में अध्यक्ष चुने गए, जो बाद में भारत के वित्त मंत्री बनें। भाजपा नेता विजय जौली, सुधांशु मित्तल, नूपुर शर्मा और दिल्ली सरकार में मंत्री आशीष सूद डूसू अध्यक्ष रहे। वहीं कांग्रेस नेताओं की बात की जाये तो 1985-86 में अजय माकन (एनएसयूआई) अध्यक्ष बने। 1995-96 में अलका लांबा (एनएसयूआई) अध्यक्ष चुनी गईं। कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक भी डूसू अध्यक्ष रहीं हैं।

डूसू के 65 वर्षों के इतिहास में (1954-2019 तक) केवल 11 महिलाएं ही अध्यक्ष बन पाई। वर्ष 2009-10 में मनोज चौधरी (स्वतंत्र) अध्यक्ष बनें। 2014 में मोहित नागर (एबीवीपी), 2015 सतेंद्र अवाना (एबीवीपी), 2016 अमित तंवर (एबीवीपी), 2017 रॉकी तुसीद (एनएसयूआई), 2018 अध्यक्ष अंकित बैसोया (एबीवीपी), 2019 अक्षित दाहिया (एबीवीपी), 2023 में तुषार डेढ़ा (एबीवीपी), 2024 अध्यक्ष रौनक खत्री (एनएसयूआई) चुने गए।