गुरु ही बालक का सृजनकर्ता, पालनकर्ता और अज्ञान का संहारकर्ता है : अवधेशानंद गिरी
जामडोली/जयपुर। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन के द्वितीय दिवस पर देश के तीन अग्रणी, सुविख्यात, कर्मयोगी व राष्ट्रीयता से ओत्प्रोत ख्याति प्राप्त तीन शिक्षाविदों को महामंडलेश्वर जूना पीठाधीश्वर आचार्य अवधेशानंद जी महाराज एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व सहसरकार्यवाह सुरेश सोनी द्वारा शिक्षा भूषण सम्मान से अलंकृत किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य महामंडलेश्वर जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि अपने स्व को जानने के लिए भगवान स्वयं शिक्षक के रूप में प्रकट होते हैं, इसीलिए गुरु को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। गुरु ही बालक का सृजन कर्ता पालन कर्ता और अज्ञान का संहारकर्ता है। शिक्षा ही हमें पुरुषार्थी बनाकर एवं सत्य का ज्ञान कराकर पूर्णता का बोध कराती है।
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि महासंघ भारत को निरंतर प्रगति पथ पर ले जाने के उद्देश्य से शिक्षा जगत एवं समाज में अपने राष्ट्र भाव को प्रदर्शित करता है। भारत का वर्तमान समय सामाजिक, सांस्कृतिक आर्थिक ,राजनीतिक तथा शैक्षिक दृष्टि से विचारात्मक परिवर्तन का समय है। इन सभी परिवर्तनों में शिक्षक की सदैव महत्व भूमिका रही है। शिक्षक ही वह व्यक्ति है जो विद्यार्थियों नागरिकों, समाज में ज्ञान विज्ञान का सतत प्रणयन और प्रकीर्णन करता है। इसलिए भारतीय समाज में शिक्षक का सर्वोच्च स्थान और सम्मान रहा है।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ऐसे गणमान्य शिक्षकों जिनका संपूर्ण जीवन राष्ट्र आराधन तथा समाज निर्माण में लगा हुआ है 2015 से समारोह पूर्वक प्रतिवर्ष सम्मानित कर रहा है। संगठन द्वारा यह सम्मान शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में अद्वितीय कार्य करने वाली तीन विभूतियां को प्रदान किया जाता है। सम्मानित शिक्षकों को 1 लाख रुपए की नगद राशि, प्रशस्ति पत्र और चांदी की प्लेट प्रदान की जाती है।
इस वर्ष यह सम्मान राजस्थान के उदयपुर से प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा जो गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा के कुलपति है एवं जिन्होंने विश्व व्यापार संगठन के पांचवें, छठे, दसवें सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। जिनके 350 से अधिक शोध देश-विदेश की अनेक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए तथा भारत सरकार द्वारा मदन मोहन मालवीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
हरियाणा से यह पुरस्कार दिल्ली विश्विद्यालय के दौलतराम कॉलेज की प्राध्यापिका प्रोफेसर सुषमा यादव को दिया गया जो हरियाणा के केन्द्रीय विश्विद्यालय एवम इंद्रा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की उपकुलपति रही तथा जिनके अनेक शोध लेख एवम पुस्तकें देश विदेश में प्रकाशित हुई। जिन्हें अंतराष्ट्रीय महिला दिवस का विदुषी सम्मान, सावित्री बाई फुले राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से नवाजा जा चुका है।
केरल से विजे श्रीकुमार को यह सम्मान दिया गया, जो अमृता संस्कृत उच्चतम विद्यालय कोल्लम में अध्यापक है। इनके अनेक कार्यक्रम और वार्ताएं आकाशवाणी व दूरदर्शन पर प्रसारित हुए है। इनकी 44 कविताओं का संकलन वाक्श्री शीर्षक से प्रकाशित हुआ। इन्हें केरल राज्य का संस्कृत के क्षेत्र में राज्यस्तरीय पुरस्कार प्राप्त है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सहसरकार्य वाह सुरेश सोनी ने शिक्षा की भारतीय अवधारणा विषय पर अपने विचार रखें। उन्होंने अपनी प्राचीन गुरूकुल परंपरा पर जोर देते हुए वर्तमान समय मे शिक्षक की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारतीय शिक्षा की अवधारणा में बच्चों के समग्र विकास एवं चारित्रिक विकास दोनों पर ही ध्यान देना आवश्यक है इसका उद्देश्य व्यक्ति को समाज और देश के योग्य बनाना और भारतीय संस्कृति का संरक्षण करना है, और यह कार्य केवल एक शिक्षक ही कर सकता है।
NCERT के निदेशक प्रोफेसर डीपी सकलानी ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ साथ राष्ट्र व समाज के लिए भी जिम्मेदार बनाने का कार्य कर रही है। इसके माध्यम से बच्चों को 21वीं सदीं के तहत तैयार किया जाएगा। यह बच्चों की प्रतिभाओं और कौशल को निखारने, उनका सर्वांगीण विकास कर रचनात्मक रूप से मुख्यधारा में लाने के लिए सर्वाधिक उपयोगी है।
NEP 2020 के तहत पाठ्यक्रम के भारत केंद्रित होने पर जोर दिया गया है। इसके तहत नया पाठ्यक्रम पाश्चात्य दृष्टिकोण से दूर भारतीय परिपेक्ष्य पर आधारित एवम् हमारी सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध है। इस नीति का उद्देश्य शिक्षा को छात्रों के लिए आनंददायक बनाना है, जिससे वे रटने की जगह रुचि लेकर समझने पर ध्यान केन्द्रित कर सके।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर महामंत्री गीता भट्ट ,कार्यक्रम संयोजक राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चंद्र पुष्करणा विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलगुरु, संगठन के पूरे देश से पधारे शिक्षक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में संगठन की महामंत्री गीता भट्ट ने सभी अतिथियों एवं पधारे शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। राष्ट्रगीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय प्रकाशन प्रकोष्ठ प्रमुख एवं शैक्षिक मंथन के संपादक शिवचरण कौशिक ने किया।