पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उम्मीदवारों की आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक प्रोफ़ाइल पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस बार चुनकर आए 243 में से 90 प्रतिशत विजयी प्रत्याशी करोड़पति हैं, जिनकी औसत संपत्ति 9.02 करोड़ रुपए आंकी गई है।
इससे स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में धनबल की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट बताती है कि अधिकांश दलों के उम्मीदवारों की संपत्ति करोड़ों में है। करोड़पति विजयी प्रत्याशियों की इतनी बड़ी संख्या यह दर्शाती है कि आर्थिक रूप से सशक्त उम्मीदवारों की चुनावी राजनीति में पकड़ मजबूत होती जा रही है।
उधर, विजयी प्रत्याशियों की शैक्षिक योग्यता भी दिलचस्प तस्वीर पेश करती है। कुल विजयी प्रत्याशियों में से 35 प्रतिशत 5वीं से 12वीं तक शिक्षित हैं। स्नातक और उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले 60 प्रतिशत उम्मीदवार हैं। वहीं डिप्लोमा धारक विजयी प्रत्याशियों की संख्या पांच है और केवल साक्षर विजयी उम्मीदवारों की संख्या सात है।
यह आंकड़ा दर्शाता है कि उच्च शिक्षित उम्मीदवारों का दबदबा तो है, लेकिन सीमित शिक्षा वाले प्रत्याशी भी पर्याप्त संख्या में जीत दर्ज कर रहे हैं।
वहीं उम्मीदवारों की आयु सीमा के आधार पर विधानसभा की तस्वीर कुछ इस प्रकार है। 25 से 40 वर्ष आयुवर्ग के विजयी प्रत्याशियों की संख्या 38 (16 प्रतिशत) है। 41 से 60 वर्ष के बीच आयुवर्ग के कुल 143 (59 प्रतिशत) विजयी उम्मीदवार हैं और 61 से 80 वर्ष के बीच आयु वर्ग वाले विजयी प्रत्याशियों की संख्या 62 (26 प्रतिशत) है।
आंकड़ों से जाहिर होता है कि बिहार विधानसभा में सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व मध्यम आयु वर्ग के नेताओं का है, जबकि युवा नेतृत्व की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है।
वहीं, 243 विजेताओं में से 12 प्रतिशत यानी 29 महिलायें इस बार विधानसभा पहुंची हैं। पिछली बार यह आंकड़ा 11 प्रतिशत था। हालांकि, इस बार महिला प्रतिनिधित्व में वृद्धि मामूली है, लेकिन महिलाओं की उपस्थिति में निरंतर वृद्धि उम्मीद की किरण दिखाती है।



