केरल के तिरुवनंतपुरम में RSS कार्यकर्ता की सुसाइड से मचा तहलका

तिरुवनंतपुरम। केरल के तिरुवनंतपुरम नगरपालिका चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार न बनाए जाने पर कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता आनंद थम्पी ने आत्महत्या कर ली। इस घटना ने केरल के राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा दिया है।

तिरुमाला निवासी आनंद ने भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर त्रिक्कन्नापुरम वार्ड से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था, जिसके कारण कथित तौर पर उसे पार्टी कार्यकर्ताओं से दबाव का सामना करना पड़ रहा था। पुलिस ने आत्महत्या के मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है।

पुलिस अधिकारी थम्पी के सुसाइड नोट में उल्लिखित व्यक्तियों के बयान दर्ज कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या किसी बाहरी दबाव में उन्होंने यह कदम उठाया था। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि दोस्तों ने खुलासा किया है कि आनंद ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला करने से पहले व्हाट्सएप संदेश भेजे थे, जिनमें आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं के असहनीय दबाव का जिक्र था। उनके नोट में कथित तौर पर भाजपा और आरएसएस नेताओं पर गंभीर आरोप थे।

थम्पी ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती एक आरएसएस कार्यकर्ता बनकर रहना था। यही मुझे इस स्थिति में ले आया है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं को उनके शव को देखने की अनुमति न दी जाए।

केरल के भाजपा इकाई के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने आनंद की आत्महत्या को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि परिस्थितियां अभी भी स्पष्ट नहीं हैं और आनंद के बारे में विस्तृत जानकारी की जांच की जा रही है। चंद्रशेखर ने पुष्टि की कि उन्होंने भाजपा ज़िला अध्यक्ष से बात करके और जानकारी जुटाई है और सभी प्रासंगिक पहलुओं की गहन जांच के निर्देश दिए हैं।

इस घटना ने विवाद खड़ा कर दिया है, क्योंकि स्थानीय भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि आनंद भाजपा के सदस्य नहीं थे, जबकि उनके संघ से लंबे समय से जुड़े होने के प्रमाण मौजूद हैं। सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने आक्रोश व्यक्त किया और ऐसे लोगों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला जो किसी न किसी उद्देश्य के लिए समर्पित थे, लेकिन मृत्यु के बाद भी उन्हें पहचान नहीं मिली।

उनके दोस्तों के अनुसार आनंद ने एमजी कॉलेज में अपने छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक अग्रणी कार्यकर्ता से लेकर आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बनने तक अपना जीवन पूरी तरह से संगठनात्मक कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने मंडल कार्यवाह, तिरुमाला मंडल के शारीरिक प्रमुख और तिरुमाला उपनगरीय क्षेत्र के सह कार्यवाह सहित प्रमुख कई प्रमुख पदों पर कार्य किया।। उन्होंने स्थानीय चुनावों में भाजपा के अभियानों में भी सक्रिय रूप से योगदान दिया था।

आलोचकों का कहना है कि संघ परिवार अक्सर अपने कार्यकर्ताओं का समर्थन करने में विफल रहा है। दशकों की सेवा के बावजूद आनंद की राजनीतिक पहचान को मरणोपरांत भी स्वीकार नहीं किया गया है। जो लोग उन्हें जानते थे, उन्होंने आनंद को बातचीत में अनुशासित, विनम्र और सम्मानजनक शख्स बताया।

तिरुवनंतपुरम में एक महीने के भीतर भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं द्वारा की गई, यह दूसरी आत्महत्या है। हाल ही में पार्षद अनिल थिरुमाला ने स्थानीय भाजपा नेताओं से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के कारण आत्महत्या कर ली थी। आनंद थम्पी की मौत की जांच जारी है और अधिकारियों द्वारा जानकारी जुटाने के साथ ही आगे की जानकारी मिलने की उम्मीद है।