सिरोहीः राममंदिर की जमीन की लीज पर हंगामा, अब मौन

पैलेस रोड स्थित महामंदिर जिसकी जमीन लीज पर देने पर 2017 में किया था जमकर हंगामा।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। भाजपा राज में पहली बार सिरोही के इस प्रमुख मंदिर ट्रस्ट की जमीनों को खुर्दबुर्द करने की कोशिश की गई हो ऐसा नहीं है। ऐसा ही एक मामला 2017 में भी सामने आया था। तब इसी रामझरोखा व राम-लक्ष्मण मंदिर ट्रस्ट की राजगुरुद्वारा की महामंदिर नाम से विख्यात राम-लक्ष्मण मंदिर की जमीन की 99 साल की लीज महंत ने लिख दी थी।

इस लीज का मामला सामने आने पर भाजपा और हिंदू संगठनों के नेताओं ने लीज लेने वाले के प्रतिष्ठान के सामने जबरदस्त हंगामा किया था। मंदिर के सामने भी प्रदर्शन किया गया। महिलाओं से यहां पर भजन करवाए गए। लेकिन, रामझरोखा मंदिर की जमीन को शिक्षा समिति को 99 साल के लिए लीज पर दिए जाने को पांच महीने बीतने के बाद भी भाजपाa उर हिंदू वादी संगठन का एक भी नेता विरोध करते हुए सामने नहीं आया। इसे लेकर खुद भाजपा और इसके मूल संगठन के कार्यकर्ता और पदाधिकारी इस मंदिर की जमीन को बचाने के लिए प्रयास नहीं करने के लिए संगठन के नेताओं पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।

सिरोही में 2025 में लीज की गई रामझरोखा की जमीन का हिस्सा।

– ये हुआ था 2017 में
सिरोही के पैलेस रोड पर सर के एम स्कूल के सामने महामंदिर है। ये भी रामझरोखा से संबद्ध राजगुरुद्वारा से संबद्ध है। इसमें सिरोही का श्रीराम-लक्ष्मण मंदिर है। इसी मंदिर की संपत्ति की करीब 764 वर्गफीट का हिस्सा 99 साल की लीज पर दिया गया था। ये लीज डीड फरवरी 2017 को हुई थी। तब भी प्रदेश में भाजपा का शासन और सिरोही में भाजपा सत्ता में काबिज थी। जब ये मामला खुला तो भाजपा और उसके मूल संगठन से जुडे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने यहां प्रदर्शन किया। रोज महिलाओं को लाकर यहां पर भजन कीर्तन करवाए। अब सोशल मीडिया पर इसी को लेकर भाजपा और उसके मातृ संगठन के कार्यकर्ता तंज कस रहे हैं कि तब ये लोग प्रदर्शन करने चले गए लेकिन, रामझरोखा का मामला हुए इतने दिन हो गए हिन्दू वादी संगठन का कोई नेता या कार्यकर्ता इसके लिए आवाज उठाने को आगे नहीं आया। यूं अब भाजपा भी कांग्रेस पर अंगुली उठा रही है कि तब राजगुरुद्वारा की जमीन बचाने के लिए कांग्रेस ने आंदोलन नहीं किया। अब आंदोलन का आव्हान कर रही है।

सिरोही की महामंदिर की जमीन 99 साल की लीज देने पर देवस्थान आयुक्त द्वारा महंत को भेजा नोटिस।

– 2017 देवस्थान बोर्ड से आया था ये नोटिस
जब ये जमीन लीज पर दी गई थी उस समय भी प्रबंधन समिति ने आपत्ति दर्ज करवाई थी। भाजपा भी एक्टिव मोड पर थी। ऐसे में पत्राचार हुए। इसके बाद देवस्थान विभाग के जोधपुर के सहायक आयुक्त ने महंत को 18 जनवरी 2018 को नोटिस भेजा था। इस नोटिस में लिखा था कि श्री राम लक्ष्मण मंदिर ट्रस्ट महामंदिर सिरोही पंजिकृत प्रन्यास है। जिसके पंजियन नं 10/1993/सिरोही है। इस न्यास की अचल सम्पति में से आप द्वारा पटटा विल्लेख के माध्यम से हस्तान्तरित की गई हैं।
नोटिस में लिखा था कि आपके गुरु महन्त जयराम दास की वसीयत नामा मे आपको किसी प्रकार की सम्पति हस्तान्तरण के अधिकार नहीं दिये है। न ही पंजिकृत लोक न्यास की अचल सम्पति विभाग की बिना अनुमति हस्तान्तरित की जा सकती है। नोटिस में लिखा कि विभागीय निरीक्षक ने 22 दिसम्बर 2017 को मौका जांन की। इस दौरान महंत द्वारा लिखित में स्वीकार किया है कि उक्त सम्पत्ति 99 साल के पटटे पर दी गई हैं।
सहायक आयुक्त ने अपने नोटिस में 99 साल की लीज को सम्पत्ति हस्तान्तरण की परिभाषा में आना बताया है। सहायक आयुक्त ने दस दिन में जवाब देने अन्यथा महंत के गुरु की वसीयत के अनुसार एवं राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम 1959 के अन्तर्गत कार्यशील न्यासी पद से हटाने व दुसरा कार्यशील न्यासी बनाने की कार्यवाही अमल लाने की चेतावनी दी थी। अब ये लीज लम्बित है। अभी ये प्रकरण न्यायालय में लंबित है और इसी वर्ष फैसले की संभावना जताई जा रही है। इस बार भी कथित धर्म ध्वजवाहक जिस शिक्षण संस्थान ने ये 99 साल की लीज डीड करवाई है उस पर भी उक्त प्रावधान लागू होते हैं। ऐसे में ये लीज डीड भी संपत्ति हस्तांतरण की श्रेणी में आती है और इसे हस्तांतरित करने का महंत को कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त के पुराने नोटिस के तथ्यों के आधार पर ये लीज डीड अवैध हो जाती है।