चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन गुरुवार को सदन की कार्यवाही उस समय बार-बार बाधित हुई, जब वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। हंगामे के कारण कांग्रेस के कई विधायकों को नियम उल्लंघन का दोषी ठहराते हुए सदन से बाहर जाने के निर्देश दिए गए, जिसके बाद मार्शलों और विधायकों के बीच हाथापाई की स्थिति बन गई।
शून्यकाल के बाद वंदे मातरम् पर चर्चा का प्रस्ताव रखा गया, जिसे अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने स्वीकार कर लिया। भोजनावकाश के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस विषय पर बोलना शुरू किया और इसे युवाओं के लिए ऐतिहासिक एवं राष्ट्रीय महत्व का बताया। मुख्यमंत्री की ऐतिहासिक संदर्भों वाली टिप्पणी पर कांग्रेस विधायकों ने विरोध जताते हुए नारेबाजी शुरू कर दी और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में सदन के बीचोबीच आ गए।
लगातार व्यवधान के कारण अध्यक्ष ने कांग्रेस के नौ विधायकों का नाम लेते हुए उन्हें सदन से बाहर जाने का आदेश दिया। मार्शलों ने जब विधायकों को बाहर ले जाने की कोशिश की तो उन्होंने विरोध किया, जिससे कुछ देर के लिए धक्का-मुक्की हुई। बाद में मार्शलों ने उन्हें सदन से बाहर किया।
इस दौरान कांग्रेस विधायक आदित्य सुरजेवाला ने वंदे मातरम् पर चर्चा की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को प्राथमिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। मंत्री अनिल विज की टिप्पणी के बाद विवाद और बढ़ गया। सत्ता पक्ष के विधायकों ने वंदे मातरम् के नारे लगाए। अध्यक्ष ने दोनों पक्षों से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की।
सैनी ने कांग्रेस की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे जनता में कोई सकारात्मक संदेश नहीं गया है, क्योंकि उस पर नेता प्रतिपक्ष के हस्ताक्षर तक नहीं हैं। उनकी इस टिप्पणी पर भी कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया।
सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बाद कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने परिवार पहचान पत्र और राशन कार्ड कटने का मुद्दा उठाया। मुख्यमंत्री ने आरोपों को निराधार बताया और कहा कि विपक्ष राजनीतिक हताशा में ऐसे बयान दे रहा है।
कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायकों का बार-बार सदन के बीचोबीच आना एक सोची-समझी रणनीति है और इससे सदन की मर्यादा को ठेस पहुंची है। अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि जिन विधायकों का नाम लिया गया है, उन्हें किसी भी हालत में सदन में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
हंगामे के बीच पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि वंदे मातरम् को विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह गीत राष्ट्रीय एकता और त्याग का प्रतीक है और इसका कोई विरोध नहीं कर रहा है। लगातार व्यवधान और तनावपूर्ण माहौल के बीच विधानसभा की कार्यवाही चलाई जाती रही।



