सेहत के लिए हानिकारक निमेसुलाइड दवा पर भारत ने लगाया प्रतिबंध

नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए सोमवार को ऐसी सभी ओरल दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रभाव से पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है, जिसमें निमेसुलाइड की मात्रा 100 मिलीग्राम से अधिक है।

मंत्रालय ने एक वर्ष पहले ही मवेशियों के लिए भी इसे प्रतिबंधित कर दिया था। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि भारत में इस घटक (साल्ट) का प्रयोग सामान्य रूप से दर्द और बुखार में होता है। इसके उच्च खुराक के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती है।

यह सलाह स्वास्थ्य विशेषज्ञों की उन चिंताओं के बाद आयी, जिनमें रोगियों में लीवर को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई थी। चिंताओं में चेतावनी दी गयी थी कि कुछ मामलों में यह घातक हो सकती है। भारतीय औषधि नियामक (सीडीएससीओ) ने भी केंद्र के फैसले का समर्थन किया है।

यह निर्णय हमारे देश में गिद्धों की घटती आबादी को लेकर पर्यावरणीय चिंताओं से पैदा हुआ। पैनल ने चेतावनी दी कि निमेसुलाइड गिद्धों के लिए खतरनाक है। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने संयुक्त रूप से पक्षियों की आबादी में ड्रग की सुरक्षा रिपोर्ट का परीक्षण करने के लिए अध्ययन किया। रिपोर्टों से पता चला कि जिन गिद्धों को निमेसुलाइड दी गयी, वे दवा देने के 24 घंटे के भीतर मर गए।

निमेसुलाइड सदी की शुरुआत से ही वैश्विक जांच के दायरे में रहा है। कई देशों जैसे फिनलैंड, स्पेन, आयरलैंड और सिंगापुर ने 2002 और 2007 के बीच दवा पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसकी वजह यह है कि चिकित्सा विशेषज्ञों ने लंबे समय तक उपयोग के स्वास्थ्य जोखिमों की चेतावनी दी थी। इनमें लीवर एंजाइम की वृद्धि, लीवर विषाक्तता, आंतरिक रक्तस्राव, थक्के विकार, किडनी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचना आदि शामिल है।

इस बीच 2011 में भारत ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों में इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था, मगर दुनियाभर के विशेषज्ञों की संभावित लीवर नुकसान की बार-बार की चेतावनियों के बावजूद वृद्ध रोगियों में इसके उपयोग की अनुमति जारी रही।