नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने शादी केवल 18 महीने बाद एक महिला की ओर से अपने अलग रह रहे पति से गुजारा भत्ते में 12 करोड़ रुपए और मुंबई में आलीशान अपार्टमेंट में फ्लैट की मांग वाले वैवाहिक विवाद में तलाक की अर्जी मंजूर कर मंगलवार को इस चर्चित मामले का निपटारा कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत के आधार पर अपना अंतिम आदेश सुनाया। पीठ ने इस हाई-प्रोफाइल वैवाहिक विवाद में तलाक को मंजूरी देते हुए संबंधित महिला को मुंबई में फ्लैट को गुजारा भत्ता के तौर पर देने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि मुंबई के आलीशान कल्पतरु आवासीय परिसर में स्थित फ्लैट बिना किसी कानूनी बाधा के महिला को हस्तांतरित किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गवई ने यह देखते हुए कि शादी केवल 18 महीने ही चली थी, गुजारा भत्ते की बड़ी राशि की मांग पर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आप एक करोड़ रुपए प्रति माह मांग रही हैं? इसके बाद पीठ ने महिला से उसकी योग्यता और पेशेवर पृष्ठभूमि के बारे में पूछा। उसने जवाब दिया कि उसके पास एमबीए की डिग्री है और वह आईटी क्षेत्र में काम कर चुकी है।
मुख्य न्यायाधीश ने पीठ की ओर से आगे पूछा कि आप बेंगलूरु और हैदराबाद जैसी जगहों पर नौकरी के योग्य हैं। काम क्यों नहीं करतीं? मुख्य न्यायाधीश गवई ने पिछली सुनवाई के दौरान कई सवाल पूछे। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि शिक्षित व्यक्तियों को स्वैच्छिक बेरोजगारी का विकल्प नहीं चुनना चाहिए और बढ़ा-चढ़ाकर भरण-पोषण के दावे नहीं करने चाहिए।
उन्होंने महिला से कहा कि आप अच्छी तरह शिक्षित हैं। आपको दान पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। आपको कमाना चाहिए और सम्मान के साथ जीना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया था कि महिला का अपने पति के पिता की संपत्तियों पर कोई कानूनी अधिकार नहीं है और उचित समझौता करने के लिए पति के आयकर रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया था।
अंततः पीठ ने महिला को दो विकल्प दिए। या तो मुंबई में फ्लैट स्वीकार कर लें या पूर्ण और अंतिम समझौते के रूप में चार करोड़ रुपए की एकमुश्त राशि ले लें।
शीर्ष न्यायालय ने आज दोनों पक्षों के समझौते को दर्ज किया और महिला को स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में फ्लैट देने के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले के साथ शीर्ष न्यायालय ने इस विवाद में औपचारिक रूप से विवाह संबंध को भंग कर दिया है। उसने वित्तीय विवाद को सुलझा लिया है। इस तरह तीखी कानूनी दलीलों और सामाजिक हितों से जुड़े एक मामले का निपटारा कर दिया गया। इस मामले ने कानूनी हलकों में तब काफ़ी सुर्खियां बटोरीं जब महिला ने शादी की छोटी अवधि के बावजूद अपने पति से गुजारा भत्ते के तौर पर बेशुमार दौलत की मांग की।