इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फाइलों में लाल थूक लगे पन्ने दाखिल करने पर लगाई रोक

लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कई मुकदमों की फाइलों में दाखिल किए जाने वाले पन्नों में लाल थूक लगे होने पर सख्त रुख अपनाया है।

कोर्ट ने कहा ऐसे गंदे व घृणास्पद चलन से संपर्क में आने वालों में संक्रमण फैलाने का खतरा बढ़ता है। अदालत ने सीनियर रजिस्ट्रार, रजिस्ट्री अनुभाग के प्रभारी समेत शासकीय अधिवक्ता(जी ए)और मुख्य स्थायी अधिवक्ता(सी एस सी) को भी अपने दफ्तर में ऐसे थूक लगे गंदे पन्नों वाली पत्रावलियों को स्वीकार न करने के निर्देश दिए हैं।

न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश बहराइच जिले की कृष्णावती की याचिका पर सुनवाई के समय दिया। इसमें, संपत्ति अटैच करने के मामले में महसी तहसील के एसडीएम एवं निगरानी अदालत के आदेशों को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी कर चुनौती दिए गए आदेशों पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी। अगली सुनवाई 27 अक्तूबर से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।

दरअसल, इस मामले की सुनवाई के पहले कोर्ट ने पाया कि सवेरे से 10 से अधिक याचिकाओं/अर्जियों को दाखिल करने से पहले इनके पन्नों को पलटने में लाल रंग के लार थूक को लगाया गया है। कोर्ट ने कहा कि यह थूक संभवतः मुंशियों, ओथ कमिश्नरों, रजिस्ट्री के संबंधित लोगों या फिर जीए और सीएससी के दफ्तरों में लगा होगा।

कोर्ट ने कहा कि यह घृणास्पद व निंदनीय है। अगर इस गंदे चलन को न रोक गया तो इससे ऐसे पन्नों के संपर्क में आने वालों में संक्रमण हो सकता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने सीनियर रजिस्ट्रार, रजिस्ट्री अनुभाग के प्रभारी समेत वहां तैनात कर्मियों को निर्देश दिया कि याचिकाओं, अर्जियों, फाइलों के दाखिल होने के समय ध्यान देकर देखें कि इनमें ऐसे कोई थूक वाला पन्ने न लगे हों। कोर्ट ने जीए और सीएससी को भी निर्देश दिया कि अपने दफ्तरों में ऐसे चलन को प्रतिबंधित करने को लिखित निर्देश जारी करें।