बेंगलूरु। कर्नाटक में बेंगलूरु के महादेवपुरा इलाके में 120 वर्ग फुट के जिस एक कमरे के पते पर 80 मतदाताओं के पंजीकृत होने संबंधी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों का कमरे के मालिक जयराम रेड्डी ने खंडन किया है।
रेड्डी ने पत्रकारों से स्पष्ट किया कि छोटे से कमरे के किरायेदार ज़्यादातर प्रवासी मज़दूर हैं जो अस्थायी रूप से रहते हैं-आमतौर पर छह महीने से एक साल तक। ये किरायेदार निवास के प्रमाण के रूप में किराये के समझौतों का उपयोग करके मतदाता पहचान पत्र प्राप्त करते हैं, लेकिन वास्तव में इस पते से वोट नहीं देते हैं।
उन्होंने कहा कि मतदाता पहचान पत्र अक्सर बिचौलियों या एजेंटों द्वारा बनाए जाते हैं जो शुल्क लेकर ये दस्तावेज़ उपलब्ध कराते हैं, कभी-कभी तो पड़ोसी देशों के विदेशियों को भी। उन्होंने कहा कि अगर कोई पाकिस्तानी आता, तो एजेंट उसका मतदाता पहचान पत्र बना देता।
उन्होंने दावा किया कि प्रवासी मज़दूर इन मतदाता पहचान पत्रों का इस्तेमाल वोट डालने के लिए नहीं करते क्योंकि वे बेहतर रोज़गार के अवसरों की तलाश में अक्सर दूसरे स्थानों पर जाते रहते हैं। कमरे का वर्तमान किराया 5,000 रुपए प्रति माह है।
राहुल गांधी की इस टिप्पणी पर कि उनके भाजपा से संबंध हैं। रेड्डी ने दावा किया कि वह कांग्रेस के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि मैं निश्चित रूप से कांग्रेस का सदस्य हूं। यह बात सभी जानते हैं।
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलीभगत करके बड़े पैमाने पर मतदाता धोखाधड़ी की अनुमति देने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि इस वजह से बेंगलूरु सेंट्रल में कांग्रेस को एक लाख से ज़्यादा वोटों का नुकसान हुआ, जिससे भाजपा को 32,000 से ज़्यादा वोटों से जीत मिली।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया है और मांग की है कि राहुल गांधी शपथ लेकर अपने दावों का सबूत पेश करें। भाजपा ने भी इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर दिया।