बैतूल। मध्यप्रदेश में बैतूल जिले के पाथाखेड़ा क्षेत्र में मंगलवार को पुलिस ने एक बड़ी साइबर ठगी को समय रहते रोकते हुए 64 वर्षीय चैतराम नरवरे की लगभग 73 लाख रुपए की जीवनभर की जमा पूंजी बचा ली।
भोपाल के अशोका गार्डन निवासी और रिटायर्ड डब्ल्यूसीएल कर्मचारी नरवरे पिछले कुछ दिनों से साइबर ठगों के जाल में फंस गए थे, जो उन्हें डिजिटल अरेस्ट जैसी फर्जी कार्रवाई का डर दिखाकर रकम निकलवाने का दबाव बना रहे थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नरवरे को 28 नवंबर से लगातार फोन और वीडियो कॉल आ रहे थे। कॉल करने वाले स्वयं को सीबीआई, ईडी और पुलिस अधिकारी बताते हुए आरोप लगा रहे थे कि उनके खाते से पुलवामा हमले और दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े संदिग्ध लेन-देन हुए हैं।
ठगों ने खाते ब्लैक मनी से जुड़े होने की बात कही और उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी देकर मानसिक रूप से दबाव बनाया। वीडियो कॉल में ठगों ने फर्जी पहचान पत्र, एटीएम कार्ड, सीबीआई कार्यालय जैसी पृष्ठभूमि और डीजीपी जैसे दिखने वाले व्यक्ति का अभिनय करके वातावरण को विश्वसनीय बनाया।
ठगों के निर्देश पर भयभीत बुजुर्ग पाथाखेड़ा पहुंचे और बगडोना स्थित राजेश गेस्ट हाउस में ठहर गए। गैंग उन्हें किसी से संपर्क न करने की सख्त चेतावनी दे चुका था। इस दौरान गिरोह उनसे करीब 71 लाख की एफडी और 2 लाख की बचत राशि निकलवाने का दबाव बना रहा था और बैंक से आरटीजीएस फॉर्म भी भरवा लिए गए थे।
परिवार को जब उनके व्यवहार पर संदेह हुआ, तो उन्होंने बैतूल बाजार थाने से संपर्क किया। सूचना मिलते ही सारणी चौकी पाथाखेड़ा प्रभारी उपनिरीक्षक मनोज कुमार उइके और टीम गेस्ट हाउस पहुंची और नरवरे को सकुशल बाहर निकालकर परिजनों से मिलवाया। पुलिस टीम ने उनका मानसिक तनाव भी कम कराया।
एसपी वीरेंद्र जैन ने स्पष्ट किया कि भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई सरकारी एजेंसी वीडियो कॉल, सोशल मीडिया या वॉट्सऐप के माध्यम से गिरफ्तारी नहीं करती और न ही धनराशि मांगती है।
उन्होंने नागरिकों से अपील की कि ऐसे किसी भी संदिग्ध कॉल का जवाब न दें और तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन या नजदीकी थाने में शिकायत करें। इस कार्रवाई में निरीक्षक अंजना धुर्वे, प्रधान आरक्षक ज्ञानसिंह तेकाम, आरक्षक रविमोहन, राकेश करपे, सैनिक सुभाष और साइबर सेल बैतूल की संयुक्त टीम शामिल रही।



