कांकेर में धर्मांतरण के खिलाफ सूचना पट्ट, एक परिवार के लोगों ने की घर वापसी

अंतागढ़/कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर में कोयलीबेडा इलाके के ग्राम सुलंगी में धर्मांतरण के खिलाफ जन संघर्ष तेज हुआ है। बीमारियों के इलाज और आर्थिक मदद के नाम पर आदिवासी परिवारों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन देने की कोशिशों के खिलाफ ग्रामीणों ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने गांव में पादरी व संबंधित गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने वाला सूचना पट्ट भी लगाया है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक बस्तर संभाग में सर्व आदिवासी समाज ने धर्मातंरण के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया हुआ है। दो महीने के भीतर लगभग 10 गांवों में धर्मांतरण के खिलाफ सूचना पट्ट लगे हैं। तथा धर्मांतरित परिवारों को वापस हिन्दू धर्म को स्वीकार (घर वापसी) करवाया गया है।

स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक लंबे समय से बाहरी संगठनों द्वारा भोले-भाले आदिवासियों को बहलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। धर्मांतरण के खिलाफ अब गांव के लोग एकजुट हुए हैं।

सूचना पट्ट लगाने के बाद जिला सदस्य देवेंद्र टेकाम ने कहा कि यहां लगातार प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने की कोशिशें की जा रही थीं। अब हम जागरूक होकर इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। वहीं, सर्व आदिवासी समाज के जिला उपाध्यक्ष ज्ञानसिंह गौर ने स्पष्ट किया कि हम अपनी परंपराओं और आस्था पर अडिग हैं। किसी भी प्रकार के जबरन धर्मांतरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सर्व आदिवासी समाज बड़े पैमाने पर रणनीतिक रूप से काम कर रहा है।नतीजतन, धर्मांतरण का भारी विरोध किया जा रहा है। ग्रामीण कमलेश दर्रो के मुताबिक हमने साफ कर दिया है कि सुलंगी गांव में धर्मांतरण गतिविधि नहीं चलेगी। सभी लोग एकजुट हैं। वहीं एक ग्रामीण महिला ने कहा कि बीमारियों के इलाज के नाम पर हमें बरगलाया जाता था, लेकिन अब हम अपने धर्म पर दृढ़ हैं।

ग्रामीणों ने एक आदिवासी परिवार की घर वापसी भी कराई है। इससे यह संदेश गया कि धर्मांतरण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बीच, सुलंगी गांव में लगाए गए बोर्ड के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अब पादरी व धर्मांतरण से संबंधित गतिविधियां सुलंगी में निषिद्ध रहेंगी।