संतोष खाचरियावास
राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन : फ्री पेट्रोल डीजल के कूपनों की बंदरबांट
अजमेर। मारवाड़ी में कहते हैं, जितरा की बीनणी कोनी बितरा को बीजणो…
मोदी सरकार ने जब जीएसटी रिफॉर्म लागू किया था, तब आमजन को जितने की राहत नहीं दी, उससे ज्यादा तो यह प्रचारित करने पर खर्च कर दिए थे कि हमने जीएसटी कम किया है। अब अपने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी हैं तो ‘मोदी मेड’ ही, लिहाजा वे भी मोदी स्टाइल में जमकर मार्केटिंग कर रहे हैं। जितने का माल नहीं, उससे ज्यादा मार्केटिंग पर खर्च करना अब रिवाज जो बन गया है।
राज्य सरकार अपनी दूसरी वर्षगांठ मना रही है, आए दिन जगह जगह सीएम की रैलियां हो रही हैं। मंगलवार को मेड़ता (नागौर) में राज्य स्तरीय किसान हुआ। चूंकि सीएम साहब का कार्यक्रम था, इसलिए राज्यभर से किसानों की भीड़ मेड़ता लाई गई।
इसके लिए आरटीओ ने सैकड़ों बसों का इंतजाम किया तो डीएसओ ने उन बसों-कारों के लिए मुफ्त पेट्रोल-डीजल और रसद का। बसों-कारों के लिए दिल खोलकर कूपन बांटे गए। किसी को 20-40 लीटर तो किसी 70 से 100 लीटर। किसी भी पम्प पर कूपन देकर पेट्रोल-डीजल भरवा लो।
डीएसओ ने पेट्रोलियम कम्पनियों के सेल्स ऑफिसर्स को फरमान भेजा और सेल्स ऑफिसर्स ने अपने डीलर्स को…कोई भी कूपन के बदले पेट्रोल डीजल भरने से मना नहीं करेगा।
किसान सम्मेलन की आड़ में जमकर पेट्रोल डीजल के कूपनों की बंदरबांट हो गई। बाद में ये कूपन दिखाकर जब पेट्रोल पम्प संचालक आरटीओ के यहां बिल पेश करेंगे तो बदले में जिला प्रशासन उन्हें धक्के खिलाएगा…ऐसा पिछली बार जयपुर में साल 2024 में हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली और इस साल हुई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली के वक्त भी हो चुका है। कई पम्प वाले अब तक भुगतान के लिए चक्कर लगा रहे हैं।
पिछले महीने ही 24 नवम्बर को राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन यानी आरपीडीए ने पूरे ठसके के साथ जिला कलक्टरों को ज्ञापन देकर बकाया भुगतान कराने की मांग की, साथ ही आइंदा इन सरकारी प्रपंचों के लिए तेल उधार नहीं देने की चेतावनी भी दी, अब फिर ये चेतावनी धरी रह गई… डीलर्स कूपन लेकर पेट्रोल डीजल भरने को मजबूर हुए और आरपीडीए पल्ला झाड़ रही है।
शहरों-गांवों से डीलर्स अपना काम धंधा छोड़कर अपने-अपने बिल बनाकर पहले आरटीओ ऑफिस पहुंचेंगे, फिर कलेक्ट्रेट के चक्कर काटेंगे। लोकल स्तर पर गांव खेड़ों तक मे कूपन तो बंट सकते हैं लेकिन लोकल स्तर पर भुगतान की व्यवस्था नहीं है।
सभी जिलों में जिला स्तर पर तो किसान सम्मेलन हुए ही लेकिन राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन की बात ही अलग थी। हजारों किसानों का रेला बुलाया गया। इन सरकारी आयोजनों पर एक ही दिन में करोड़ों रुपए सरकारी खजाने से खर्च कर दिए गए।
घूम-फिरकर यह बोझ उन्हीं किसानों और आमजन की जेब पर पड़ेगा.. क्योंकि सरकार का खजाना इन्हीं से वसूले गए टैक्स से ही भरता है। जनता का पैसा फूंककर जनता को ही बताया जाएगा कि हमारे राज्य में किसान कितने खुशहाल हैं… वाह रे म्हारा भजनलाल जी मौज करा दी रे…!!!



