चक्रवात ‘बिपरजॉय’ से गुजरात में 719 मकानों को पहुंचा नुकसान

गांधीनगर। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को एक उच्च स्तरीय बैठक में शुक्रवार को बताया गया कि ‘बिपरजॉय’ प्रभावित आठ जिलों में लगभग 719 कच्चे-पक्के मकानों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है या वे पूर्ण क्षतिग्रस्त हुए हैं।

पटेल ने चक्रवाती आपदा से हुए न्यूनतम प्रभावों के लिए तंत्रवाहकों, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, केंद्रीय एजेंसियों तथा राज्य सरकार के कर्मयोगियों की दिन-रात की मेहनत और समय पर अग्रिम आयोजन करने के लिए आभार व्यक्त किया है। उन्होंने चक्रवात के परिणामस्वरूप राज्य के तटीय जिलों में उत्पन्न हुई स्थिति की विस्तृत जानकारी संबंधित जिलों के कलक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर हासिल की।

उन्होंने शुक्रवार शाम स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर में इस संदर्भ में मुख्य सचिव राज कुमार सहित वरिष्ठ सचिवों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। उन्होंने प्रभावित जिलों में बिजली आपूर्ति, पानी और सड़क व्यवस्था को बहाल करने तथा पेड़ उखड़कर गिरने की वजह से सड़कों के अवरोधों को दूर करने की भी ताकीद की।

इस बैठक में पशुओं की मौत के मामले में नियमानुसार सहायता का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने तथा अन्य नुकसान का सर्वे जल्द शुरू करने के निर्देश दिए गए। कैशडोल का भुगतान नकदी में करने संबंधी राज्य के राजस्व विभाग के प्रस्ताव में कहा गया है कि चक्रवात ‘बिपरजॉय’ से प्रभावित क्षेत्र के जिन लोगों का एहतियातन सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण किया गया था। ऐसे वयस्क व्यक्ति को 100 रुपए प्रतिदिन और प्रति बालक 60 रुपए प्रतिदिन की सहायता का भुगतान अधिकतम पांच दिनों के लिए किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने इस बैठक में जिलेवार प्राथमिक नुकसान का आकलन हासिल किया और स्पष्ट रूप से कहा कि राहत स्थानों में आश्रय ले रहे लोगों को कैशडोल एवं अन्य सहायताओं का समय पर भुगतान करने पर ध्यान देना आवश्यक है। इतना ही नहीं उन्होंने कच्चे-पक्के मकानों और झुग्गियों को हुए आंशिक नुकसान या पूर्ण क्षतिग्रस्त होने के मामले में भी जल्द से जल्द सर्वे शुरू किए जाने पर जोर दिया।

इस संदर्भ की जानकारी देते हुए बैठक में बताया गया कि प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार प्रभावित आठ जिलों में लगभग 719 कच्चे-पक्के मकानों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है या वे पूर्ण क्षतिग्रस्त हुए हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों में जहां बिजली आपूर्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ा है, ऐसे स्थानों पर स्थिति को बहाल करने के लिए ऊर्जा विभाग की अतिरिक्त टीमों को कार्यरत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बिजली के खंभे या ट्रांसफॉर्मर को क्षति पहुंचने के मामले में उसे पूर्ववत करने के लिए जलापूर्ति, रिहायशी मकानों और संचार क्षेत्र से जुड़े बिजली के खंभों एवं ट्रांसफॉर्मरों की बहाली को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने चक्रवात के कारण बड़ी संख्या में गिरे पेड़ों को ध्यान में रखते हुए सभी से साथ मिलकर उससे दोगुने पेड़ लगाकर ग्रीन कवर को बनाए रखने का भी अनुरोध किया।

मुख्य सचिव राज कुमार ने इस बैठक में चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि, अब हमारा फोकस ‘रिस्टोरेशन ऑफ सर्विसेज’ यानी सेवाओं की बहाली पर होना चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि गांवों और नगरों में जहां जल भराव की समस्या उत्पन्न हो रही है, वहां साफ-सफाई, संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए दवाइयों का छिड़काव तथा रोग प्रतिरोधक दवाइयों की व्यवस्था भी तत्काल करनी होगी।

उन्होंने परिस्थिति को तेजी से पूर्ववत करने के लिए आवश्यक सेवाओं की त्वरित बहाली सुनिश्चित करने की ताकीद की। उन्होंने आवश्यकता पड़ने पर और टीमें भी कार्यरत करने का सुझाव दिया।

मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार पाटण और बनासकांठा जिलों में अभी भी बारिश की संभावनाएं हैं, जिसे ध्यान में लेकर बैठक में इन जिलों के कलक्टरों को अग्रिम आयोजन के साथ तैयार रहने के निर्देश दिए गए। इस बैठक में दी गई जानकारी के अनुसार प्रभावित जिलों में 1536 बिजली के खंभों की मरम्मत कर दी गई है, 4490 फीडरों को पुनः कार्यरत किया गया है।

वन विभाग ने धराशायी हुए 1784 पेड़ों व अवरोधों को दूर किया है। चक्रवात से 3700 किमी लंबाई की सड़कें प्रभावित हुई थीं, जिसमें से ज्यादातर की बहाली का कार्य पूरा हो चुका है। इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव के. कैलाशनाथन, अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों और सचिवों सहित वरिष्ठ अधिकारी अपने-अपने विभागों के कार्यों के ब्यौरे के साथ सहभागी हुए।

गुजरात में सटीक कम्युनिकेश प्लान से लोगों को किया सावधान

गुजरात सरकार के सटीक कम्युनिकेश प्लान से लोगों को सावधान किया गया था। सरकारी सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार के सूचना विभाग की ओर से गुजरात में चक्रवात के पहुंचने से पहले 13 जून की शाम से शुरू कर आज तक राज्य के चक्रवात से प्रभावित होने की आशंका वाले छह जिलों में 65 लाख मोबाइल धारकों को मुख्यमंत्री का वॉइस मैसेज (ओबीडी – आउटबाउंड डायलिंग) भेजा गया। इन संदेशों में राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों और चक्रवात पूर्व के सतर्कता उपायों के बारे में जानकारी दी गई थी।

इसी तरह लगभग 65 लाख मोबाइल धारकों तक मुख्यमंत्री का जनता के नाम संदेश और ऐसे अन्य पांच संदेश जैसे- चक्रवात पूर्व बरती जाने वाली सावधानी का टैक्स्ट मैसेज, सभी संभावित प्रभावित जिलों में शुरू किए गए कंट्रोल रूम के फोन नंबर और टेलीविजन कमर्शियल को वीडियो फॉर्मेट में व्हाट्सएप मैसेज के मार्फत भेजा गया।

इसके साथ ही राज्य सरकार ने चक्रवात की स्थिति में नागरिकों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन नंबर (079-232-51900) भी जारी किया था। राज्य के सभी 33 जिलों का जी-स्वान टेलीफोन हॉटलाइन के साथ संपर्क स्थापित किया गया था। कच्छ, जामनगर, पोरबंदर, देवभूमि द्वारका, मोरबी और राजकोट जिले में हेम रेडियो स्टेशन शुरू किए गए, साथ ही जियो, बीएसएनएल और वोडाफोन जैसे टेलीकॉम ऑपरेटरों को सभी 743 टावरों के लिए पर्याप्त बैकअप बनाए रखने के निर्देश दिए गए।

गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (जीएसडीएमए) ने भी सूचना विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर टीवी कमर्शियल्स, रेडियो विज्ञापन और अखबारों में विज्ञापन के जरिए नागरिकों को चक्रवात के दौरान ‘क्या करें और क्या न करें’ के संदेश पहुंचाए। संभावित चक्रवात के परिणामस्वरूप संचार व्यवस्था प्रभावित न हो, इसके लिए गुजरात पुलिस सैटेलाइट फोन और वायरलेस नेटवर्क का उपयोग कर रही है।

जिला प्रशासन के रहे भगीरथ प्रयास

प्रभारी मंत्रियों, सचिवों तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने चक्रवाती तूफान के टकराने से पहले नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का अभियान भली-भांति पूरा किया। बिजली, संचार, जलापूर्ति और परिवहन जैसी चार महत्वपूर्ण सेवाओं को नुकसान पहुंचने की स्थिति में उन्हें तेजी से बहाल करने के लिए जिला प्रशासन ने युद्धस्तर पर कार्य किया।

स्वास्थ्य विभाग ने भी की थी तैयारी

इस चक्रवात के दौरान राज्य के संभावित प्रभावित क्षेत्रों में कुल 1005 मेडिकल कार्यरत थीं। प्रभावितों के लिए 202 ‘108 एंबुलेंस’ और 302 सरकारी एंबुलेंस सहित कुल 504 एंबुलेंस आवंटित की गई थीं। इसके अलावा संभावित प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 3851 क्रिटिकल बेड की भी व्यवस्था की गई थी। इन क्षेत्रों में कुल 197 डीजी (डीजल जनरेटर) सेट आवंटित किए गए थे।

स्वास्थ्य विभाग ने संभावित प्रभावित क्षेत्रों में दवाइयों और लॉजिस्टिक्स का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित किया था। प्रभावित जिलों के अस्पतालों में सौ फीसदी डीजल जनरेटरों की व्यवस्था की गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने चक्रवात से प्रभावित होने की आशंका वाले क्षेत्रों में रह रहीं गर्भवती महिलाओं तथा उनकी अनुमानित डिलीवरी तिथि की सूची बनाई थी। 1152 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।

बिजली आपूर्ति दुरुस्त करने के लिए तत्काल एक्शन हुए

ऊर्जा विभाग के अंतर्गत पश्चिम गुजरात वीज कंपनी लिमिटेड (पीजीवीसीएल) की ओर से सौराष्ट्र के आठ जिलों के कुल 3751 गांवों में 1127 टीमें तैनात की गईं जबकि गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (गेटको) की ओर से कुल 714 सबस्टेशनों में 51 टीमें तैनात की गईं। पीजीवीसीएल द्वारा संभावित प्रभावित जिलों के आसपास के जिलों में कुल 889 टीमें स्टैंडबाय पर रखी गईं, जबकि गेटको द्वारा आसपास के जिलों में कुल 81 टीमें स्टैंडबाय पर रखी गईं।

प्रभावित सड़कों की मरम्मत करने के लिए सड़क एवं मकान विभाग रहा तैयार: राज्य के सड़क एवं मकान विभाग ने संभावित प्रभावित जिलों में आवश्यक साजो-सामान सहित 132 टीमें तैयार रखी थीं। 328 जेसीबी मशीन, 276 डम्पर, 204 ट्रैक्टर, 60 लोडर और 234 अन्य उपकरणों के साथ ये टीमें प्रभावित सड़कों की मरम्मत का कार्य कर रही हैं। इसके अलावा, प्रभावित जिलों की 263 सड़कों से अब तक 1137 पेड़ों को हटाया गया है।

चक्रवात के कारण भारी वर्षा और तेज हवाओं की स्थिति में जान-माल के नुकसान को रोकने के लिए अग्रिम उपाय करते हुए संभावित प्रभावित आठ जिलों से 4317 होर्डिंग्स को हटा लिया गया। इसके अलावा, प्रभावित बिजली के खंभों, क्षतिग्रस्त सड़कों, बिजली आपूर्ति बाधित क्षेत्रों और क्षतिग्रस्त मकानों को बहाल करने का कार्य किया जा रहा है।

वन विभाग ने उखड़कर गिरे पेड़ों को सड़कों से हटाया

राज्य के वन विभाग ने तीव्र हवाओं के चलते उखड़कर गिरे पेड़ों को हटाने के लिए संभावित प्रभावित जिलों में 237 टीमें तैनात की थीं। इन टीमों ने राज्य में चक्रवात की शुरुआत से लेकर अब तक उखड़कर गिरे कुल 581 पेड़ों को सड़कों से हटाया है।

इसके अलावा, चक्रवात ‘बिपरजॉय’ के प्रभाव से वन्य जीवसृष्टि-वन्य प्राणियों को सुरक्षित रखने के लिए भी वन विभाग ने अग्रिम आयोजन किया था। एशियाई बब्बर शेरों के जोन में रेस्क्यू, रैपिड एक्शन और उखड़कर गिरे पेड़ों को हटाने के लिए कुल 184 टीमें रणनीतिक रूप से पोजिशन में तैनात की गई थीं। कच्छ के अभयारण्य क्षेत्र में भी 13 ऑपरेशनल टीमें तथा आवश्यक साजो-सामान सहित विशेष छह वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू टीमें मुस्तैद थीं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के साथ समन्वय

गुजरात सरकार भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में थी और चक्रवात की सभी गतिविधियों के बारे में निरंतर जानकारी हासिल कर रही थी। गृह विभाग के अधीन राज्य का पुलिस महकमा भी कानून और सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए सार्वजनिक व्यवस्था पर पैनी नजर बनाए हुए है।

गुजरात ने समय-समय पर अनेक प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है और हमेशा उससे सुरक्षित रूप से उबरकर निकला है। इस बात भी समुचित एवं समय पर किए गए आयोजन तथा पूर्व तैयारियों के साथ गुजरात और उसकी जनता ने चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ का सफलतापूर्वक सामना किया है। गुजरात ने एक बार फिर डिजास्टर मैनेजमेंट की बेहतरीन मिसाल पेश की है।

पूर्व तैयारियां और प्रभावी उपाय किए गए

मुख्यमंत्री ने चक्रवात के संदर्भ में गांधीनगर स्थित स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर में राज्य के उच्च अधिकारियों के साथ तत्काल समीक्षा बैठक बुलाई और सभी जिलों के प्रशासनिक तंत्र को स्टैंडबाय रहने के आदेश दिए। विभिन्न जिलों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने सहित माइक्रो प्लानिंग व्यवस्था की भी समीक्षा की थी। मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश में एक लाख आठ हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया, जिसमें 10,918 बच्चे, 5070 बुजुर्ग और 1152 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं।

भारतीय तट रक्षक बल (इंडियन कोस्ट गार्ड) ने चक्रवात के कारण बीच समुद्र में फंसे 50 लोगों को एयर लिफ्ट किया। कोस्ट गार्ड ने द्वारका में समुद्र के बीच से 50 लोगों का रेस्क्यू किया। सभी को भारतीय तट रक्षक बल के ओखा ऑपरेशन सेंटर में लाया गया। इसके साथ ही आवश्यकता पड़ने पर सहायता के लिए भारतीय वायु सेना, हवाई सेना और थल सेना को भी स्टैंडबाय पर रखा गया था। समुद्र में मछली पकड़ने गए मछुआरों-सागरखेड़ू सुरक्षित वापस लौट आए और 21 हजार से अधिक नौकाओं को लंगर डालकर खड़ा किया गया।

गुजरात के नौ तटीय जिलों यानी कच्छ, देवभूमि द्वारका, जामनगर, मोरबी, पोरबंदर, गिर सोमनाथ, जूनागढ़, राजकोट और वलसाड तथा एक केंद्र शासित प्रदेश दीव में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की कुल 19 टीमें तैनात की गई थीं। कच्छ, देवभूमि द्वारका, जामनगर, मोरबी, पोरबंदर, गिर सोमनाथ और जूनागढ़ सहित सात तटीय जिलों तथा पाटण एवं बनासकांठा में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की 12 टुकड़ियां तैनात की गईं, जबकि सूरत में एसडीआरएफ की एक टुकड़ी को रिजर्व रखा गया था।

मुख्यमंत्री ने चक्रवात के दौरान लगातार मॉनिटरिंग शुरू कर दी थी। उन्होंने कंट्रोल रूम से जिला प्रशासन के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जानकारी हासिल कर आवश्यक सुझाव दिए। गांधीनगर स्थित स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर में मुख्य सचिव सहित राज्य सरकार के सभी विभागों के वरिष्ठ सचिवों के साथ सर्वग्राही बैठक कर हर छोटी-बड़ी जानकारी हासिल की।