दरभंगा। कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाति जनगणना के खिलाफ थे लेकिन उनकी (गांधी) ओर से लगातार जारी दबाव में आकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की जाति जनगणना कराने की घोषणा की है।
गांधी ने गुरुवार को यहां जिला प्रशासन के निर्देशों की अवहेलना करते हुए अंबेडकर छात्रावास में छात्रों को संबोधित किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाति जनगणना के खिलाफ थे। यह उनका दबाव था जिसने मोदी को राष्ट्रीय स्तर की जाति जनगणना के लिए तैयार होने को मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर जाति गणना पूर्ण हुई तो यह समाज के वंचित और उत्पीड़ित वर्ग के हित में होगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम चाहते हैं कि जाति जनगणना निष्पक्ष और सही तरीके से हो ताकि विकास के रास्ते में पीछे रह गए लोगों की वास्तविक स्थिति सामने आ सके। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना सही तरीके से कराई। अब केंद्र की मोदी सरकार को तेलंगाना की तर्ज पर जाति जनगणना करानी चाहिए।
गांधी ने कहा कि देश में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अति पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की आबादी 90 प्रतिशत है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद इन सभी को हर रोज यातना और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायपालिका, नौकरशाही और कॉर्पोरेट क्षेत्र में एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी की भागीदारी शून्य है। हालांकि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत सूचीबद्ध मजदूरों में उनकी संख्या सबसे अधिक है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को निजी संस्थानों में एससी के लिए आरक्षण का प्रावधान करना चाहिए। इन वर्गों के आरक्षण के लिए कानून तो है लेकिन इसे न तो केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और न ही बिहार में श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक निजी संस्थानों में एससी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया जाता तब तक कांग्रेस चैन से नहीं बैठेगी।