चुनाव आयोग बिहार मतदाता सूची से हटाए 65 लाख नाम कारणों के साथ प्रकाशित करें : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख मतदाताओं की जिलावार सूची 21 अगस्त तक संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइटों पर प्रकाशित कर दे।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर लगातार तीन दिनों तक संबंधित पक्षों की दलीलें विस्तार पूर्वक सुनने के बाद इस संबंध में आदेश पारित किया।

पीठ ने आयोग से कहा कि वह मसौदा सूची से नाम हटाने के कारणों का भी खुलासा करें। यह स्पष्ट करे कि आखिर मृत्यु, दूसरी जगह स्थायी निवास, दोहरी पंजीकरण के कारण मसौदा सूची में उनके नाम दर्ज नहीं किए गए।

पीठ ने याचिकाकर्ताओं में शामिल एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की गुहार स्वीकार करते हुए यह निर्देश दिया। एसोसिएशन ने हटाए हुए मतदाताओं की सूची कारण सहित प्रकाशित करने की गुहार लगाई थी।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बुधवार की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग पर दुर्भावनापूर्ण इरादे का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग ने हटाए गए मतदाताओं के नाम कारण सहित प्रकाशित करने से इनकार कर दिया। चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं गैर सरकारी संगठन (एनजीओ)- एडीआर, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल), तृणमूल कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा, स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव, राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा, कांग्रेस पार्टी के नेता के सी वेणुगोपाल और मुजाहिद आलम सहित अन्य ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की वैधता को चुनौती दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले में अगली सुनवाई 22 अगस्त को करेगी।