अल-फलाह समूह का चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी अरेस्ट

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को अल-फलाह समूह के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी समूह से जुड़े परिसरों की तलाशी के दौरान मिले सुबूतों की विस्तृत जांच के बाद की गई।

ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज दो प्राथमिकी के आधार पर शुरू की थी। इनमें आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय ने नैक मान्यता और यूजीसी की धारा 12(बी) के अंतर्गत मान्यता होने का झूठा दावा किया, ताकि छात्रों, अभिभावकों और अन्य हितधारकों को गुमराह कर अनुचित लाभ कमाया जा सके। यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय केवल धारा 2(एफ) के तहत राज्य निजी विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त है, उसने 12(बी) के लिए आवेदन नहीं किया है और वह किसी भी अनुदान के लिए पात्र नहीं है।

सिद्दीकी 1995 में स्थापित अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक और प्रबंधन ट्रस्टी है। समूह के सभी शैक्षणिक संस्थानों का स्वामित्व और नियंत्रण इसी ट्रस्ट के पास है। हालांकि समूह का 1990 के दशक से तेजी से विस्तार हुआ है, लेकिन इसके अनुरूप वित्तीय अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं।

जांच के तहत, ईडी ने मंगलवार को दिल्ली में 19 जगहों पर तलाशी अभियान चलाया, जिनमें विश्वविद्यालय परिसर और प्रमुख व्यक्तियों के आवास शामिल हैं। जांच से पता चला है कि अपराध से बड़ी मात्रा में आय अर्जित की गई थी। साक्ष्य बताते हैं कि ट्रस्ट द्वारा करोड़ों रुपए सिद्दीकी के परिवार के स्वामित्व वाली संस्थाओं में स्थानांतरित किए गए थे, और निर्माण और खानपान के ठेके उनकी पत्नी और बच्चों के स्वामित्व वाली फर्मों को दिए गए थे।

तलाशी के दौरान, 48 लाख रुपए से अधिक नकद, कई डिजिटल उपकरण और दस्तावेजी साक्ष्य जब्त किए गए। ईडी ने समूह के भीतर कई फर्जी कंपनियों की पहचान की है और अन्य अधिनियमों के तहत कई उल्लंघनों का पता लगाया है।

नकदी की बरामदगी, धन का हेर-फेर और वित्तीय व्यवस्था में गड़बड़ी सहित व्यापक साक्ष्य, अपराध से प्राप्त आय को उत्पन्न करने और छिपाने के पैटर्न को स्पष्ट रूप से स्थापित करते हैं। सिद्दीकी की ट्रस्ट और उसकी गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रक की भूमिका रही है। जानकारी सामने आने के बाद सिद्दीकी को पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया।

अल-फलाह विश्वविद्यालय हाल ही में दिल्ली में हुए आतंकवादी विस्फोट के बाद चर्चा में है। इस विस्फोट और जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी मॉड्यूल से जुड़े कई संदिग्ध, जिनमें से अधिकांश डॉक्टर थे, या तो वहां कार्यरत थे या उनका इससे कोई संबंध था।