20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल नीति को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की इथेनॉल मिश्रण योजना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने के साथ ही पेट्रोलियम कंपनियों में हडकंप मच गया है। सरकार ने 20 प्रतिशत इथेनॉल मिले पेट्रोल (E20) की बिक्री अनिवार्य कर दी थी। देश में इस साल जुलाई में ही 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया, जबकि यह लक्ष्य 2028-29 तक रखा गया था।

अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में कहा है कि जन जागरूकता अभियान चलाए बगैर केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया ऐसा कार्यक्रम (ई-20 पेट्रोल) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 के तहत उपभोक्ताओं के सूचित विकल्प के अधिकार का उल्लंघन करता है। लाखों भारतीय वाहन चालक/मालिक इस बात से अनजान हैं कि उनके वाहनों में इस्तेमाल होने वाला पेट्रोल 100 फीसदी पेट्रोल नहीं, बल्कि इथेनॉल और पेट्रोल का मिश्रण है। इतनी अहम जानकारी छुपाना उपभोक्ता की सूचित पसंद (इंफॉर्मड चॉइस) को खत्म करता है।

याचिका में कहा गया है कि उपभोक्ताओं को इथेनॉल-फ्री पेट्रोल (E0) का विकल्प दिए बिना सिर्फ E20 उपलब्ध कराना उन करोड़ों वाहन मालिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जिनके वाहन इस तरह के पेट्रोल के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

याचिका में यह भी कहा गया है कि E20 पेट्रोल का इस्तेमाल करने से वाहन की फ्यूल एफिशिएंसी (माइलेज) घटती है और कई पुर्जों में जंग लगने का खतरा बढ़ जाता है। इससे उपभोक्ताओं पर रखरखाव का अतिरिक्त खर्च और सुरक्षा से जुड़े खतरे भी पैदा होते हैं। अधिवक्ता मल्होत्रा का तर्क है कि जब तक वाहन निर्माता कंपनियों को E20 के अनुकूल गाड़ियां बनाने और बाजार में उतारने का पर्याप्त समय न दिया जाए, तब तक इस नीति को लागू करना अनुचित और मनमाना कदम है।

याचिका के मुताबिक अप्रैल 2023 से पहले बनी गाड़ियां इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल के लिए उपयुक्त नहीं हैं। यहां तक कि दो साल पुरानी गाड़ियां भी, भले ही वे बीएस-6 मानकों के अनुरूप हों, 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लिए सही नहीं हैं। वे अधिकतम 10 प्रतिशत इथेनॉल मिले पेट्रोल (E10) तक ही चलने लायक हैं।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि पेट्रोलियम कंपनियों को आदेश दिया जाए कि वे बाजार में इथेनॉल-फ्री पेट्रोल (E0) भी उपलब्ध कराते रहें। इसके अलावा पेट्रोल पंपों पर यह स्पष्ट लिखना भी अनिवार्य किया जाए कि वहां मिलने वाला पेट्रोल E20 है। याचिका में यह भी कहा गया है कि जबकि पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाया जा रहा है, इसका फायदा उपभोक्ताओं को कीमत में कमी के रूप में नहीं मिला है। उन्होंने याचिका में यह भी उल्लेख किया है कि अमरीका और यूरोपीय संघ जैसे देशों में आज भी इथेनॉल-फ्री पेट्रोल उपलब्ध है और वहां पेट्रोल पंपों पर स्पष्ट लेबलिंग होती है। जिससे उपभोक्ता अपनी पसंद के अनुसार पेट्रोल चुन सकें।