
परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-आबूरोड। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है आदर्श रेलवे स्टेशन्स। रेलवे के दावे भी स्वच्छता का है। रेलवे के अजमेर मंडल के डीआरएम और आबूरोड में ट्रेड यूनियनों के नेता स्वच्छता पखवाडे के दौरान आबूरोड रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के बीच नुक्कड नाटक के जरिए स्वच्छता के प्रवचन देते हुए भी नजर आए। लेकिन, इसी स्टेशन के मुख्य द्वार की दीवारों को और रेलवे की अपनी सडक को अनधिकृत होर्डिंगों और बैनरों से पाटकर आदर्श रेलवे स्टेशन आबूरोड के मुख्य द्वारा को ही विकृत कर दिया गया है।
-पूरी सुरक्षा दीवार पर होर्डिंग्स
आबूरोड स्टेशन रोड से स्टेशन में घुसने के मुख्य द्वार की सुरक्षा दीवार पर हेरिटेज जालियां लगी हुई हैं। इन जालियों को सालों पहले रेलवे स्टेशन की खूबसूरती को चार चांद लगाने के लिए लगाया गया था। लेकिन, आबूरोड रेलवे स्टेशन पर कर्मचारी संगठनों, भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने इस स्टेशन को अपने होर्डिंग्स से पाटकर विकृत कर दिया है। इतने बडे बडे होर्डिंग्स है कि इनके पीछे स्टेशन के अंदर के डिस्प्ले तक सडक से नजर नहीं आते। स्टेशन के बाहर की सडक भी रेलवे की संपत्ति है। इस पर भी बल्लियां लगाकर अनधिकृत रूप से रेलवे को राजस्व नुकसान पहुंचाते हुए होर्डिंग्स लगा दिए गए हैं। जबकि रेलवे के द्वारा रेलवे स्टेशन और इसके परिसरों पर काॅमर्शियल होर्डिंग्स लगाने के लिए बाकायदा नियम बने हुए हैं।
-सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के निर्णय भी
मुंबई के घाटकोपर में तूफान के कारण होर्डिंग गिरने से कई लोगों की मौत हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए मुंबई वृहद नगर निगम और मुंबई रेलवे को अपने क्षेत्र में लगे अनधिकृत होर्डिंग्स और बैनर हटाने के आदेश दिए थे। इतना ही नहीं मद्रास हाईकोर्ट ने तो 2012 और 2024 में रेलवे परिसर और जमीन पर लगाए गए कर्मचारी संघों और काॅमर्शियल होर्डिंगों को भी हटाने के आदेश दिए थे। इसके पीछे की वजह ये बताई गई थी कि मुख्या मार्गों पर रेलवे की भूमि पर लगे होर्डिंग और बैनर वाहन चालकों को ध्यान भटकाते हैं और इससे ट्राफिक जाम और दुर्घटनाओं की संभावना रहती है। आबूरोड में भी रेलवे स्टेशन के मुख्य मार्ग पर रेलवे स्टेशन की मुख्य दीवार को ही अनधिकृत होर्डिंगों से पाट दिया गया है। इससे रेलवे को राजस्व का नुकसा न तो हो ही रहा है साथ में स्टेशन भी बाहर से विकृत नजर आता है।

– आर्थिक दंड और जेल का प्रावधान
रेलवे की संपत्ति पर बिना अनुमति और शुल्क दिए अनधिकृत रूप से विज्ञापन करने वाले होर्डिंग और बैनर लगाने के लिए आर्थिक दंड का भी प्रावधान है। चैन्नई रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी ए एलुमलै द्वारा 10 अक्टूबर 2025 को जारी प्रेसनोट इसकी पुष्टि करता है। इसके अनुसार रेलवे के बाहर और अंदर, ट्रेन कोच के बाहर और अंदर अनधिकृत बैनर, होर्डिंग, स्टीकर आदि लगाना गैर कानूनी है। इस प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि रेलवे एक्ट 1989 के अनुसार ऐसा करना रेलवे की संपत्ति को विकृत करने और नुकसाना पहुंचाने की श्रेणी में आता है जिसके लिए पेनेल्टी और सजा दोनों का प्रावधान है। इस प्रेस नोट के अनुसार इसे रोकने के लिए रेलवे स्टेशन स्टाफ को आरपीएफ और जीआरपी के साथ कार्रवाई करने का अधिकार है।
प्रेसनोट में बताया गया है कि रेलवे एक्ट के सेक्शन 166 के तहत अनधिकृत होर्डिंग लगाने वालों एक महीने की जेल या आर्थिक दंण्ड या दोनों सजा का प्रावधान है। इसमें स्पष्ट लिखा कि यदि किसी व्यक्ति या संस्थान को रेलवे संपत्ति में होर्डिंग बैनर आदि लगाने हैं तो उसे रेलवे के काॅमर्शियल डिपार्टमेंट से संपर्क करके वहां शुल्क भरकर वैध स्थान और वैध अनुमति लेनी होगी। रेलवे केन्द्रीय विभाग है ऐसे में चैन्नई में लागू नियम आबूरोड में भी लागू है। लेकिन, आबूरोड में इन नियमों को दरकिनार करके स्टेशन परिसर को विकृत करने में कोई कमी नहीं छोडी जा रही। रेलवे पुलिस और स्टेशन प्रशासन की तरफ से इस पर सख्ती नहीं बरतने से ये प्रवृत्ति बढती जा रही है।


