उत्तर प्रदेश में आतंक का अंत : अतीक अहमद, अशरफ की हत्या

प्रयागराज। माफिया से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई और पूर्व विधायक अशरफ की शनिवार की रात पुलिस हिरासत में नियमित जांच के लिए कॉल्विन अस्पताल ले जाने के दौरान अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि तीन हमलावरों ने नियमित जांच के लिए ले जाते समय अतीक और अशरफ को नजदीक से गोली मारी। अतीक के सिर में गोली मारी गई। यह घटना तब हुई जब उन्हें कोल्विन अस्पताल ले जाया जा रहा था। दोनो की मौके पर ही मौत हो गई। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाने के बावजूद हमलावरों ने कई राउंड फायरिंग की।

पुलिस ने दावा किया कि हमलावरों को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया गया। हत्या के बाद हमलावरों ने अपने हथियार फेंक दिए और मौके पर ही आत्मसमर्पण कर दिया। मौके से दोहरे हत्याकांड में प्रयुक्त हथियार बरामद किए गए हैं। हमलावर मीडियाकर्मियों के भेष में आए थे और उनके पास फर्जी आईडी थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गंभीर रूख अपनाते हुए लखनऊ में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक बुलाई है। सूत्रों के अनुसार योगी के निर्देश पर 17 पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया है। ये पुलिस कर्मी अतीक की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए थे। पूरी घटना की जांच के लिये तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कानून व्यवस्था के मद्देनजर पूरे उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई है।

प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने बताया कि मीडियाकर्मी के रूप में तीन लोग मौके पर पहुंचे और अतीक तथा उसके भाई अशरफ पर ताबडतोड़ गोली चलाकर हत्या कर दी। तीनों हमलावरों को गिरफ्तार कर गहन पूछताछ की जा रही है। इस दौरान एक सिपाही मानसिंह को गाेली लग गई जिससे वह घायल हो गया। उसका उपचार चल रहा है। लखनऊ एएनआई के एक रिपोर्टर के भी चोट लगी है। उन्हें उपचार के लिए ले जाया गया है।

गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में अतीक और उसके भाई अशरफ को शुक्रवार को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज गया था। फायरिंग में एक पुलिसकर्मी भी घायल हुआ है, लेकिन अभी इसकी पुष्टि अधिकारियों द्वारा नहीं की गई है।

पिछले गुरुवार को अतीक को अहमदाबाद की साबरमती जेल से और अशरफ को बरेली जेल से वारंट बी के जरिये पुलिस प्रयागराज पेशी के लिए लायी थी। दोनों को उसी दिन चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश अदालत ने दिए थे मगर इसी बीच झांसी के बड़ागांव में एक मुठभेड़ में अतीक का बेटा असद और उमेश पाल हत्याकांड का एक और आरोपी गुलाम पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे।

गौरतलब है कि अतीक पर हत्या, जबरन वसूली और गैंगस्टर एक्ट सहित करीब 100 मामले दर्ज हैं, जबकि अशरफ के खिलाफ करीब 50 मामले लंबित हैं। हाल ही में, वे बहुजन समाज पार्टी के विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के आरोपी थे।

प्रयागराज की एक अदालत ने 2006 में उमेश पाल के अपहरण के मामले में अतीक समेत तीन अभियुक्तों को 28 मार्च को उम्रकैद और एक एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में अतीक के भाई अशरफ समेत सात को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया।

गौरतलब है कि राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की पिछले महीने उनके घर के बाहर दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। इस मामले में भी अतीक आरोपियों की फेहरिस्त में शामिल था। बहुजन समाज पार्टी के तत्कालीन विधायक राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को हुई हत्या के मामले में उमेश पाल को गवाही नहीं देने के लिए कई बार धमकी दी गई थी और 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण करा लिया गया था। इसी मामले में अतीक और उसके भाई अशरफ समेत दस आरोपियों को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश किया गया। अशरफ को बरेली जेल से यहां लाया गया था।

अतीक अहमद जून 2019 से अहमदाबाद के साबरमती सेन्ट्रल जेल में बंद था और अशरफ जुलाई 2020 से बरेली जेल में बंद था। प्रयागराज में 24 फरवरी 2023 को उमेशपाल की हत्या कर दी गई। हत्याकांड के मामले में पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद, उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, पुत्र असद, अली, उमर, शूटर, गुलाम, साबिर, मुस्लिम गुड्डू आदि के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।

उमेश की हत्याकांड में अतीक अहमद, अशरफ को तीन लोगों ने गोलीमार कर हत्या कर दी। अरबाज, विजय उर्फ उस्मान चौधरी, असद और गुलाम हसन की एसटीएफ के साथ मुठभेड में मारे गए। असद और गुलाम हसन पर पांच पांच लाख रूपए जबकि अरबाज और विजय उर्फ उस्मान चौधरी पर 50- 50 हजार रूपए का इनाम घोषित किया गया था।

जरायम की दुनिया से लेकर राजनीति के गलियारे अतीक का खौफ

कहते हैं कि आतंक की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती, यह सच एक बार फिर जरायम की दुनिया में अपना सिक्का चलाने वाले अतीक अहमद की हत्या के रूप में सामने आया हालांकि इस वारदात ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं।

मात्र 17 साल की अतीक ने जरायम की दुनिया में अपना पहला कदम रखा था जब उसने 1979 में मोहम्मद गुलाम की हत्या कर दी थी। यह मुकदमा खुल्दाबाद थाने में दर्ज हुआ था जिसके बाद अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जुर्म जैसे अतीक का शग़ल बन गया। पढ़ाई के पन्ने तो कोरे थे लेकिन साल दर साल उसके जुर्म की किताब के पन्ने भरते जा रहे थे।

अतीक अहमद का जन्म 1960 में प्रयागराज के धूमनगंज कसारी नसारी में हुआ था। पिता तांगा चालक हाजी फिरोज अहमद कुश्ती के शौकीन थे। पिता के नक्शेकदम पर चलते अतीक भी कुश्ती लड़ता था। इसी वजह से इलाके में लोग उसे पहलवान नाम से भी बुलाते थे। पढ़ाई में मन नहीं लगने के चलते अतीक ने इंटर तक ही पढ़ाई की।

इसके बाद 17 साल की उम्र में इलाके में ही रंगदारी वसूलने लगा। पहली रंगदारी अपने मोहल्ले में ही वसूली। धीरे-धीरे उसका नाम प्रयागराज के माफिया चांद बाबा और कपिल मुनि करवरिया से ऊपर गिना जाने लगा। वह पूरे प्रदेश में जमीन कब्जा करना, हत्या, लूट, डकैती और फिरौती की घटनाओं को अंजाम देने लगा।

अतीक की आपराधिक गतिविधि पर लगाम लगाने के लिए यूपी सरकार ने 1985 में गुंडा और 1986 में गैंगस्टर की कार्रवाई की। साथ ही और कड़ी निगरानी के लिए 17 फरवरी 1992 को इसकी हिस्ट्रीशीट खोली गई, जिसका हिस्ट्रीशीट नंबर 39ए था। उसके गैंग का नंबर आईएस -227 था।

अतीक ने माफिया का रसूख हासिल करने के बाद राजनीति के लिए जमीन तैयार करनी शुरू की। 1989 में प्रयागराज पश्चिमी सीट से अपने चिर प्रतिद्वंद्वी चांद बाबा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरा। और पहली बार में ही चांद बाबा को हराकर विधायक बन गया। चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान अतीक अहमद और चांद बाबा के बीच कई गैंगवार हुए। कुछ महीने बाद दिन दहाड़े चांंद बाबा की हत्या हो गई। अब पूरे पूर्वांचल में उसकी बादशाहत कायम हो गई। अतीक के रास्ते में जो भी रोड़ा बनने का काम किया उसे रास्ते से हटा दिया।

इसी कड़ी में 1995 में उसे पहचान मिली। उसका नाम लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड में आया। समाजवादी पार्टी सरकार को बचाने के लिए उसने तत्कालीन बसपा प्रमुख मायावती और उनके दल के तमाम लोगों को बंधक बना लिया।

लखनऊ के थाना हजरतगंज में अतीक पर मुकदमा दर्ज हुआ। जिसकी विवेचना क्राइम ब्रांच, अपराध अनुसंधान विभाग लखनऊ ने की थी। इसमें उसका नाम प्रमुख अभियुक्त के रूप में नाम दर्ज किया गया। राजनीति के दम पर अपराध की दुनिया में एक अलग मुकाम बना लिया। वह पांच बार विधायक और एक बार सांसद चुना गया। उसके खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई से वकील से लेकर जज तक दूरी बनाने लगे।

अतीक अहमद पर अलग अलग थानों में 100 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। इसके गिरोह ने लोगों के जमीन कब्जा करना, हत्या, लूट, डकैती और फिरौती से अपार संपदा अर्जित किया। वह सपा, अपना दल के टिकट से मैदान में आता रहा एवं जीतकर पांच बार विधानसभा और संसद तक पहुंच गया। वर्ष 2002 में अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से 5वीं बार विधायक बना। साल 2004 में देश में लोकसभा के चुनाव हुए। प्रयागराज की पश्चिम सीट के विधायक अतीक अहमद फूलपुर लोकसभा से सांसदी का चुनाव जीत गया।

शहर पश्चिमी विधायक की कुर्सी खाली हो गई। तब अतीक अपने छोटे भाई अशरफ को वहां से विधायक बनाना चाहता था। उपचुनाव की तारीख आई, अतीक के खास रहे राजू पाल ने भी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायकी लड़ने का ऐलान कर दिया। राजू पाल ने अशरफ को हरा दिया। इसी जीत के साथ राजू पाल अतीक का दुश्मन बन गया। 25 जनवरी 2005 में राजू पाल की हत्या कर दी गई। हमले में राजू पाल और उनके साथ बैठे संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई। इसमें अतीक और उसका भाई अशरफ समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। राजू पाल हत्या के बाद से इसके दिन गर्दिश में चलने लगे थे।

राजू पाल के आखिरी गवाह रहे पूजा पाल के चचेरे भाई उमेश पाल की भी 18 साल बाद 24 फरवरी 2023 को हत्या कर दी गई है। उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने 25 फरवरी को धूमनगंज थाने में अतीक अहमद, पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटों, भाई अशरफ के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया।

योगी आदित्यनाथ ने बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके दो गनर की दिन दहाड़े हत्या के बाद कानून व्यवस्था को लेकर सदन में कहा था कि सरकार माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का कार्य करेगी। अपराध पर नियंत्रण करने के लिए अतीक अहमद की करोडों रूपए की संपत्ति जब्त की गई और उतनी ही जमींदाेज की गई अतीक और उसके परिवार को संरक्षण देने वालों के खिलाफ भी सरकार ने कठोर कदम उठाया है।

उमेश हत्याकांड के बाद से फरार शाइस्ता परवीन पर इनाम होने के बाद अतीक अहमद का पूरा परिवार या तो इनामी है या जेल के अंदर। जो लोग जेल में है उन पर भी कभी इनाम घोषित था। वर्ष 2007 में मायावती सरकार बनने के बाद अतीक अहमद फरार हो गए थे। राजू पाल हत्याकांड की फाइल फिर खोली गई थी। उस समय अतीक सांसद थे, इसके बाद भी पुलिस ने उन पर 20 हजार का इनाम रखा था।

बाद में उन्हें दिल्ली के प्रीतमपुरा इलाके से गिरफ्तार कर प्रयागराज लाया गया था। कई जेलों का सफर पार करते हुए अब वह साबरमती जेल में बंद है। बरेली जेल में बंद भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ पर 40 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज है और उसपर एक लाख रूपए का इनाम है। उमेश पाल की हत्या के बाद से शाइस्ता परवीन फरार है।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि अतीक के पांच बेटे हैं। देवरिया कांड का आरोपी अतीक का बड़ा बेटा उमर भी दो लाख का इनामी रह चुका है। दूसरे नंबर के बेटे अली पर पुलिस 50,000 का इनाम घोषित कर चुकी है। एक लखनऊ जेल में तो दूसरा नैनी जेल में बंद है। उमेश हत्याकांड में मुख्य आरोपियों में तीसरे नंबर के बेटे असद पर पुलिस ने ढाई लाख से बढाकर पांच लाख का इनाम घोषित किया है, यह फरार है। दोनों नाबालिग बेटे एहजम और आबान बाल संरक्षण गृह में हैं।

उन्होंने बताया कि फरार शाइस्ता परवीन पर पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित किया है। इसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस कई छिपने के ठिकानों पर तलाश कर रही है। आज माफिया सरगना अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को तीन लोगों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।