आपत्तिजनक वीडियो-छायाचित्र लेने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली। महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया पर महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के अश्लील और अनधिकृत वीडियो, छायाचित्र प्रसारित किए जा रहे हैं। इस के लिए दोषी हीरो सिटी व्लॉग, हरिद्वार व्लॉग, गोविंद यूके व्लॉग, अद्भूत व्लॉग, शांति कुंज हरिद्वार व्लॉग और अन्य दोषी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 354-सी/509, सूचना प्रौद्योगिकी की धारा 66-ई/67/67-ए और पोक्सो अधिनियम की धारा 14 के अनुसार सख्त कानूनी कार्रवाई की जाने की मांग मोगा पंजाब के एडवोकेट अजय गुलाटी और हिंदू जनजागृति समिति की दिल्ली की अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने राष्ट्रीय महिला आयोग और उत्तराखंड राज्य महिला आयोग से की है।

हिंदु जनजागृती समिति के प्रवक्ता नरेंद्र सुर्वे ने बताया कि शिकायत में कहा गया है कि डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बड़े पैमाने पर हानिकारक और आपत्तिजनक सामग्री समाज के सामने परोसी जा रही हैै। अब इसमें मुख्य रूप से विभिन्न व्लॉगर्स शामिल हैं जो गुप्त रूप से पवित्र नदी गंगा में स्नान कर रही महिलाओं के वीडियो-रील-शॉर्ट्स बनाते हैं। उनके छायाचित्र खींचते हैं और उनकी सहमति के बिना थोडे से धन के लिए उन्हें विभिन्न इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करते हैं।

इस कारण से समाज में कई महिलाओं को अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के सामने अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ती है साथ ही उन वीडियो-तस्वीरों के नीचे लिखे गए अश्लील और आपत्तिजनक टिप्पणियों (कमेंट्स) से उनकी प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंच रहा है।

कोई भी सभ्य महिला इतने सारे अजनबियों से इस तरह की प्रताड़ना और अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। ऐसी वीडियो-फोटोग्राफी सभ्य समाज पर काला धब्बा है। इसलिए सरकार को गंगा नदी के उद्गम स्थल से लेकर गंगासागर तक विभिन्न पवित्र घाटों पर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर प्रतिबंध लगाने की तत्काल आवश्यकता है।

साथ ही ऐसे कृत्य करने वाले दोषियों के सभी आपत्तिजनक वीडियो, फोटो, रील्स और शॉर्ट्स को यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल या अन्य इंटरनेट मीडिया से हटाने के निर्देश सरकार ने तुरंत जारी करने चाहिए। इंटरनेट और सोशल मीडिया पर महिलाओं या लड़कियों की अपमानजनक वीडियो-छायाचित्र अपलोड करने वालों पर न केवल जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि इस गंभीर अपराध के लिए आईपीसी के तहत अभियोग चलाना चाहिए और उन्हे कड़ी सजा देनी चाहिए, ऐसी मांग भी समिति द्वारा की गयी है।