हिंदू जनजागृति समिति की मांग, असम की तर्ज पर पूरे देश में ‘बहुपत्नी विवाह’ पर प्रतिबंध लगाएं

नई दिल्ली। असम राज्य ने ‘असम बहुविवाह निषेध विधेयक 2025’ को मंजूर कर महिलाओं के अधिकारों व सुरक्षा की रक्षा के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। पहले विवाह की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी करने वालों को 10 वर्ष तक की सजा व जुर्माना, तथा गाव प्रमुख, काजी, पुजारी, अभिभावकों पर 2 वर्ष तक की सजा व 1 से 1.5 लाख रुपए का जुर्माना जैसी कठोर धाराओं से महिलाओं पर होने वाले मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक शोषण पर अंकुश लगेगा।

राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने कहा कि इससे दोषियों को सरकारी नौकरियां, योजनाओं का लाभ व चुनावों से वंचित रखने वाली धाराओं से सामाजिक उत्तरदायित्व बढ़ेगा, जबकि पीड़ित महिलाओं को भरपाई, कानूनी व आर्थिक सहायता मिलेगी। हिंदू जनजागृति समिति असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा का अभिनंदन करती है तथा केंद्र सरकार से इस कानून को देशव्यापी लागू करने की मांग करती है।

उन्होंने कहा कि तुर्की, फ्रांस, अमरीका, जर्मनी, स्वीडन, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, स्पेन, इटली सहित वैश्विक स्तर पर 130 से 140 देशों में बहुपत्नी (पॉलीगैमी) विवाह पर कठोर या पूर्ण प्रतिबंध है। भारत में यह कानून लागू है, किंतु सभी धर्मों पर समान रूप से लागू नहीं है। फिर भी यह प्रथा महिलाओं की स्वतंत्रता एवं पारिवारिक व्यवस्था को संकट पैदा करती है। इसलिए असम तक सीमित न रहकर पूरे देश में इसकी अत्यंत आवश्यकता है। असम जैसा कठोर कानून देशव्यापी लागू होने पर स्त्री सुरक्षा मजबूत होगी।