ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी मिली, भारत बनेगा ग्रीन हाइड्रोजन का वैश्विक हब

नई दिल्ली। सरकार ने देश को 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ बुधवार को 19744 करोड़ रुपये की सहायता के साथ राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को आज स्वीकृति प्रदान की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आज यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के निर्णय की जानकारी देेते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि हमने सालाना 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। हम भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के निर्यात का वैश्विक हब बनाना चाहते हैं। इससे 2030 तक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में प्रतिवर्ष लगभग पांच करोड़ टन की कमी आने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और उपकरणों के निर्माण के लिए प्रोत्साहन देने की योजना को मंजूर किया है। इसके तहत देश में इलेक्ट्रोलाइजर्स के विनिर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन 2029-30 तक 17490 करोड़ रुपएकी प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया गया है। इसके अलावा सरकार इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास तथा इसके उपयोग के पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए भी प्रोत्साहन देगी।

उन्होंने बताया कि मिशन के लिए प्रारंभिक परिव्यय 19 हजार 744 करोड़ रुपए होगा, जिसमें साइट कार्यक्रम के लिए 17 हजार 490 करोड़ रुपए, पायलट परियोजनाओं के लिए 1466 करोड़ रुपए, अनुसंधान एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपए और अन्य मिशन घटकों के लिए 388 करोड़ रुपए शामिल हैं।

ठाकुर ने कहा कि इस मिशन के संचालन के लिए एक अधिकार संपन्न समूह के गठन का प्रस्ताव है। मिशन निदेशक इस क्षेत्र की विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्ति को बनाया जाएगा जो नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत कार्य करेगा।

मिशन से प्राप्त होने वाले विभिन्न प्रकार के लाभों का उल्लेख करते हुए ठाकुर ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन एवं इसके सहायक उत्पादों के लिए निर्यात के अवसर पैदा होंगे और औद्योगिक, आवागमन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। आयातित जीवाश्म ईंधन और फीडस्टॉक पर निर्भरता घटेगी और स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास होगा तथा; रोजगार के अवसरों का सृजन के साथ अत्याधुनिक तकनीक का विकास होगा।

उन्होंने कहा कि देश में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता कम से कम 50 लाख टन प्रति वर्ष तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें लगभग 125 गीगावाट की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता शामिल है। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में 2030 तक आठ लाख करोड़ रुपए का निवेश होने का लक्ष्य है और छह लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि इस मिशन से ग्रीन हाइड्रोजन की मांग, उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्राप्त होगी। ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम (एसआईजीएचटी) के लिए रणनीतिक क्रियाकलाप के लिए मिशन के तहत दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र बनाए जाएंगे जिनमें से एक इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू निर्माण और दूसरा ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए लक्षित होंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि मिशन संभावित उपभोग वाले क्षेत्रों और उत्पादन मार्गों में पायलट परियोजनाओं का भी समर्थन करेगा। बड़े पैमाने पर उत्पादन और/या हाइड्रोजन के इस्तेमाल का समर्थन करने में सक्षम क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।

ठाकुर ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की स्थापना का समर्थन करने के लिए एक सक्षम नीतिगत कार्यक्रम विकसित किया जाएगा। एक मजबूत मानक और नियमन संरचना भी विकसित की जाएगी। इसके अलावा, मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास (रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार भागीदारी-एसएचआईपी) के लिए एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी की सुविधा प्रदान की जाएगी। अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं लक्ष्य-उन्मुख, समयबद्ध और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए उपयुक्त रूप से बढ़ाई जाएंगी। मिशन के तहत एक समन्वित कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सभी संबंधित मंत्रालय, विभाग, एजेंसियां और संस्थान मिशन के उद्देश्यों की सफल उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित और समन्वित कदम उठाएंगे। मिशन के समग्र समन्वय और कार्यान्वयन के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय नोडल मंत्रालय होगा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2021 में 15 अगस्त को लाल किले पर राष्ट्र ध्वज के नीचे ग्रीन हाइड्रोजन के लिए मिशन शुरू करने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने भारत की बिजली उत्पादन में 2030 तक 40 प्रतिशत हिस्सा हरित स्रोतों से करने का लक्ष्य रखा गया था। इसका लक्ष्य 2021 में ही पूरा कर लिया गया। भारत ने ग्लासको सम्मेलन में 2070 तक कार्बन उत्पादन को शुद्ध रूप से शून्य स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा है और इस दिशा में हाइड्रोजन मिशन की बड़ी भूमिका होने जा रही है।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार 2047 तक भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। भारत इस समय अपनी पेट्रोलियम जरूरतों का तीन चौथाई आयात करता है।