जयपुर/मुंबई। मुंबई के जिला मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड (एमएचआरबी) ने सत्र न्यायालय को सूचित किया है कि जुलाई 2023 में जयपुर-मुंबई सेंट्रल सुपरफास्ट एक्सप्रेस में 4 लोगों की हत्या का आरोपी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (आरपीएफ) का कांस्टेबल चेतन सिंह चौधरी अब अपनी मानसिक बीमारी से उबर चुका है और अब मानसिक रूप से स्वस्थ हैं।
चेतन सिंह को इस वारदात के मद्देनजर नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था और इस समय में वह न्यायिक हिरासत में हैं। बर्खास्त कांस्टेबल ने मानसिक बीमारी से पीड़ित होने का दावा करते हुए जमानत याचिका दायर की थी।
एमएचआरबी ने अदालत को भेजे ई-मेल मेें बताया कि चेतन सिंह अब मानसिक रूप से स्वस्थ है। अदालत ने अभियोजन पक्ष के वकील सुधीर सपकाले से पूछा कि क्या इस मामले में मुकदमा आगे चलाया जा सकता है और प्रोडक्शन वारंट जारी किया जा सकता है? हांलाकि बचाव पक्ष के वकील जयवंत पाटिल ने इस मामले में आगे बढ़ने के पहले चेतन सिंह के परिवार से संपर्क करने के लिए समय मांगा।
पाटिल ने कहा बोर्ड ने अदालत को ई-मेल के जरिये सूचित किया है कि चेतन सिंह अब स्वस्थ है। अभियोजन पक्ष ने भी इसकी पुष्टि कर दी कि अब चेतन सिंह का इलाज नहीं चल रहा है लेकिन हम मुकदमा आगे बढ़ाने के पहले उसकी स्थिति की व्यक्तिगत रूप से पड़ताल करना चाहते हैं।
अनियत व्यवहार और सहयोग ना करने की शिकायतों के बाद उसे 20 फरवरी को वहां स्थानांतरित कर दिया गया था। अदालत ने इस मामले की सुनवाई 17 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है। चौधरी (34) पर 31 जुलाई 2023 को पालघर के पास जयपुर-मुंबई सेंट्रल सुपरफास्ट एक्सप्रेस में अपने वरिष्ठ सहायक उप-निरीक्षक टीका राम मीना और तीन यात्रियों की स्वचालित सर्विस हथियार से गोली मारकर हत्या करने का आरोप है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2023 में अकोला जेल अधिकारियों ने चौधरी की मानसिक स्थिति बिगड़ जाने का हवाला देते हुए उन्हें नासिक मानसिक अस्पताल में स्थानांतरित करने की मांग की थी। अदालत ने हालांकि उन्हें ठाणे सेंट्रल जेल में स्थानांतरित और वहां के मानसिक अस्पताल को उनकी स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया।
ट्रेन की चेन खींचने के बाद भागने की कोशिश करते समय उन्हें यात्रियों द्वारा बन्दूक के साथ पकड़ा गया था जब ट्रेन मुंबई उपनगरीय रेल नेटवर्क पर मीरा रोड स्टेशन के पास रुकी थी। तब से वह जेल में है। चौधरी पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें 302 (हत्या), 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास और भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के साथ-साथ रेलवे अधिनियम और महाराष्ट्र संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम के प्रावधान भी शामिल हैं।