त्रिपुरा में भाजपा की विजय अभियान के पीछे माणिक साहा की भूमिका

अगरतला। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने एक साल के भीतर बारडोवली निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार चुनाव लड़ते हुए सीधे मुकाबले में कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंदी आशीष साहा को 1257 से अधिक मतों के अंतर से हराया।

डॉ. साहा ने चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस नेता एवं तीन बार से विधायक रहे आशीष साहा को 1257 वोट से हराया, जो पिछले साल जून में उपचुनाव में डॉ. साहा से 6000 से अधिक मतों से हार गए थे। जहां मुख्यमंत्री ने 19,586 वोट हासिल किए, वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी साहा 18,329 मत पड़े।

डॉ. साहा ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि मुझे अपने चुनावी अभियान के दौरान जीत का भरोसा था क्योंकि लोगों ने राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की विकास गतिविधियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्याणकारी योजनाओं को पसंद किया। मुझे आशा है कि भाजपा सरकार का दूसरा कार्यकाल अधिक प्रभावी होगा और अधिक विकास और कल्याणकारी कार्यों को अंजाम दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि भाजपा की जीत बहुत पहले निश्चित थी, लेकिन विपक्ष को इसका एहसास नहीं था। विपक्ष ने सोचा था कि नकारात्मकता की राजनीति फैलाकर उनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा।

डॉ साहा ने कहा कि हम हमेशा लोगों के लिए राजनीति करना पसंद करते हैं और जनता के दिमाग में भरे गए नकारात्मकता को दूर करते हैं क्योंकि वर्तमान के मतदाता मानसिक रूप से परिपक्व होते हैं। उन्हें अच्छे और बुरे का पूरी तरह से पता होता है। उन्होंने कहा कि यह सभी पार्टियों और समग्र रूप से नेताओं के लिए एक सबक है।

डॉ साहा ने दोहराया कि अपने छोटे से कार्यकाल की अवधि में मैं (डॉ साहा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह के मुताबिक त्रिपुरा की जनता को सर्वश्रेष्ठ देना चाहता था। शहर के लोगों के प्रतिनिधि के रूप में मैंने सभी सड़कों, बाजारों, गलियों का जीर्णोद्धार किया और नागरिक सुविधाओं में सुधार किया। घर-घर चुनाव अभियान के दौरान जनता ने मुझ पर विश्वास किया जो स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

डॉ साहा वर्ष 2020 के अंत में भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष बनने तक सक्रिय राजनीति में नहीं थे। उनका राजनीतिक करियर तेजी से बढ़ा और उन्हें पिछले साल की शुरुआत में राज्यसभा के अकेले सदस्य के रूप में चुना गया। राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ लेने के पंद्रह दिन के बाद उन्हें पिछले साल 14 मई को विप्लब कुमार देब के इस्तीफे के बाद राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद 40 दिनों में उन्होंने उपचुनाव जीत लिया।

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