नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘वोकल फाॅर लोकल’ का मंत्र दोहराते हुए कहा है कि इससे भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात की 123वीं कड़ी में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत जिस तरह अपनी क्षेत्रीय, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है उसी तरह, कला, शिल्प और कौशल की विविधता भी हमारे देश की एक बड़ी खूबी है। प्रत्येक क्षेत्र में कोई एक विशेष वस्तु स्थानीय स्तर पर बहुत महत्व रखती है।
उन्होंने कहा कि मेघालय का एरी सिल्क ऐसी ही एक वस्तु है। इसका स्थानीय स्तर पर आदिवासी समाज उत्पादन करता है। इसे कुछ दिन पहले ही भू संकेतक मिला है। यह सिल्क मेघालय के लिए एक धरोहर की तरह है। स्थानीय जनजातियों ने, खासकर ख़ासी समाज के लोगों ने पीढ़ियों से इसे सहेजा भी है और अपने कौशल से समृद्ध भी किया है। इस सिल्क की कई ऐसी खूबियाँ हैं जो इसे बाकी कपड़े से अलग बनाती हैं।
उन्होंने कहा कि इस सिल्क को जो रेशम के कीड़े बनाते हैं, उसे हासिल करने के लिए कीड़ों को मारा नहीं जाता है, इसलिए इसे, अहिंसा सिल्क भी कहते हैं। आजकल दुनिया में ऐसे उत्पाद की मांग तेजी से बढ़ रही है जिनमें हिंसा न हो, और प्रकृति पर उनका कोई दुष्प्रभाव न पड़े, इसलिए, मेघालय का एरी सिल्क वैश्विक बाजार के लिए एक उचित उत्पाद है।
मोदी ने कहा कि ये सिल्क सर्दी में गरम करता है और गर्मियों में ठंडक देता है। इसकी ये खूबी इसे ज़्यादातर जगहों के लिए अनुकूल बना देती है। मेघालय की महिलाएं अब स्वयं सहायता समूह के जरिए अपनी इस धरोहर को और बड़े पैमाने पर आगे बढ़ा रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं मेघालय के लोगों को एरी सिल्क को भू संकेतक मिलने पर बधाई देता हूँ। मैं आप सबसे भी अपील करूंगा कि आप भी एरी सिल्क से बने कपड़ों को जरूर देखें।
उन्होंने कहा कि खादी, हथकरघा, हस्तशिल्प और वोकल फॉर लोकल को भी अपनाया जाना चाहिए। मोदी ने कहा कि ग्राहक भारत में बने उत्पाद ही खरीदें और व्यापारी भारत में बने उत्पाद ही बेचें तो ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को नयी ऊर्जा मिलेगी।
देशों, संस्कृतियों, लोगों को एक सूत्र में बांधते हैं बुद्ध के विचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भगवान बुद्ध के विचारों में दुनिया को एक सूत्र में बांधने की शक्ति है और यही वजह है कि वियतनाम में जब भारत से भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष पहुंचे तो वहां राष्ट्रीय महोत्सव का माहौल बन गया और डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने इनके दर्शन किये।
कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के विचारों में वो शक्ति है जो देशों, संस्कृतियों और लोगों को एक सूत्र में बांधती है। उन्होंने कहा,“पिछले दिनों मुझे वियतनाम के बहुत से लोगों ने विभिन्न माध्यमों से संदेश भेजे जिनकी हर पंक्ति में श्रद्धा, आत्मीयता और मन को छूने वाली भावनाएं थीं। वो लोग भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन कराने के लिए भारत के प्रति अपना आभार प्रकट कर रहे थे। उनके शब्दों में जो भाव थे वो किसी औपचारिक धन्यवाद से बढ़कर थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मूल रूप से भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों की खोज आंध्र प्रदेश में पालनाडू जिले के नागार्जुनकोंडा में हुई थी। इस जगह का बौद्ध धर्म से गहरा नाता रहा है। कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्रीलंका और चीन सहित दूर–दूर के लोग आते थे। पिछले महीने ही भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों को वियतनाम ले जाया गया और वहां नौ अलग– अलग स्थानों पर इन्हें जनता के दर्शन के लिए रखा गया।
मोदी ने कहा कि भारत की यह पहल एक तरह से वियतनाम के लिए राष्ट्रीय उत्सव बन गया। करीब 10 करोड़ लोगों की आबादी वाले वियतनाम में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने पवित्र अवशेषों के दर्शन किए। सोशल मीडिया पर जो तस्वीरे और वीडियो मैंने देखे, उन्होंने एहसास कराया कि श्रद्धा की कोई सीमा नहीं होती। बारिश हो, तेज धूप हो, लोग घंटों कतारों में खड़े रहे। बच्चे, बुजुर्ग, दिव्यांगजन सभी भाव-विभोर थे। वियतनाम के राष्ट्रपति, उप-प्रधानमंत्री, वरिष्ठ मंत्री, हर कोई नत-मस्तक था।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा के प्रति वहां के लोगों में सम्मान का भाव इतना गहरा था कि वियतनाम सरकार ने इसे 12 दिन के लिए और आगे बढ़ाने का आग्रह किया था और इसे भारत ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध के विचारों में वो शक्ति है, जो देशों, संस्कृतियों और लोगों को एक सूत्र में बांधती है। इससे पहले भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष थाईलैंड और मंगोलिया ले जाए गए थे, और वहाँ भी श्रद्धा का यही भाव देखा गया। मेरा आप सभी से भी आग्रह है कि अपने राज्य के बौद्ध स्थलों की यात्रा अवश्य करें। ये एक आध्यात्मिक अनुभव होगा, साथ ही हमारी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का एक सुंदर अवसर भी बनेगा।