मुरली विजय ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से लिया संन्यास

चेन्नई। भारत के अनुभवी बल्लेबाज मुरली विजय ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। विजय ने कहा कि वह दुनियाभर में खेलने के अवसर तलाशना जारी रखेंगे और खेल के व्यावसायिक पक्ष को भी खंगालेंगे।

विजय ने ट्विटर पर जारी बयान में कहा कि आज मैं अपार कृतज्ञता और विनम्रता के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने की घोषणा करता हूं। साल 2002-2018 तक का मेरा सफर मेरे जीवन के सबसे बेहतरीन वर्ष रहे हैं। खेल के सबसे बड़े स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है।

सलामी बल्लेबाज की भूमिका निभाने वाले विजय ने 2008 में भारत के लिए पदार्पण करने के बाद 61 टेस्ट, 17 एकदिवसीय और नौ टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले हैं। उन्होंने भारत के लिये अपना आखिरी मैच दिसंबर 2018 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में खेला, जिसके बाद उन्हें दोबारा टीम में तलब नहीं किया गया।

विजय ने कहा कि मैं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई), तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए), चेन्नई सुपर किंग्स और चेंप्लास्ट सनमर द्वारा मुझे दिए गए मौकों के लिए उनका आभारी हूं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैं क्रिकेट की दुनिया में और उसके व्यावसायिक पक्ष में नए अवसर तलाशता रहूंगा।

सीमित ओवर क्रिकेट में विजय का बल्ला जमकर नहीं बोल सका, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने कई यादगार पारियां खेलीं। अपने दूसरे टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ 87 रन बनाकर विजय ने एकादश में अपनी जगह पक्की कर ली। इसके बाद उन्होंने अक्टूबर 2010 में भी एक शतक जड़ा, लेकिन लगातार प्रदर्शन न करने के कारण उन्हें टीम से बाहर बैठा दिया गया। उन्हें 2013 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध घरेलू टेस्ट सीरीज के लिए एक बार फिर टीम में तलब किया गया। उन्होंने टीम प्रबंधन के भरोसे का मान रखते हुए चार टेस्ट मैचों में दो विशाल शतक जड़े।

विजय ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के दौरों पर भी कुछ अच्छी पारियां खेलीं, लेकिन 2018 में रनों का सूखा पड़ने के कारण उन्हें आखिरी बार टीम से बाहर कर दिया गया। विजय ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में 106 पारियों में 2619 रन बनाए, जिसमें दो शतक और 13 अर्द्धशतक शामिल रहे। आईपीएल में उनका सबसे यादगार साल 2011 रहा जब उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलते हुए अपने दोनों शतक जड़े और फाइनल में 95 रन की मैच जिताऊ पारी खेली।