सबगुरु न्यूज-सिरोही। भाजपा में जिले में जो चर्चा जारों पर है वो ये कि सिरोही भाजपा ने राष्ट्रीय और प्रदेश भाजपा से अलग नीति गढ ली है। वजह ये है कि जो व्यक्ति कभी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं वो पार्टी के लिए विशेष हो चुके हैं। इस तरह का कोई प्रोटोकॉल लिखित मे ंतो जारी नहीं किया गया है लेकिन, आबूरोड की नगर कार्यकारिणी की घोषणा के बाद सामने आए नामों को देखकर भाजपा में ये चर्चा जारों पर है। कार्यकारिणी को लेकर असंतोष है वो अलग।
– भाजपा प्रत्याशियों की खिलाफत
भाजपा के असंतुष्ट धडे का आरोप है कि इस कार्यकारिणी में उन लोगों को जगह दी गई है जिनका नगर पालिका चुनावों में भाजपा के द्वारा घोषित प्रत्याशियों की खिलाफत का इतिहास है। नई कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष पद पर इसी नगर पालिका चुनावों में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी भूपेंद्र सांबरिया के खिलाफ चुनाव लडने वाले नेता को स्थान देने का आरोप लग रहा है। इनका पार्टी ने अनुशासनहीनता के लिए निष्कासन किया था। इसी नगर पालिका चुनाव में आरएसएस बैकग्राउण्ड के भाजपा के प्रत्याशी दिनेश सैन के खिलाफ भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष भगवानदास कुमावत खडे हुए थे। अब आरोप ये लगा कि इनके प्रचार-प्रसार की बागडोर संभालकर भाजपा प्रत्याशी की हार की भूमिका निभाने वाले नेता को कार्यकारिणी में अध्यक्ष के बाद का सबसे महत्वपूर्ण पद दे दिया गया है। यही नहीं भाजपा के एक और प्रत्याशी देवेंन्द्र निकम की जीत की राह में कांटें बोने वाले प्रत्याशी और उनके निकटस्थों को ईनाम दिया गया है।
– आरोप ये भी
भाजपा और सोशल मीडिया में आबूरोड शहर की कार्यकारिणी को लेकर एक और आरोप लग रहा है। वो ये कि व्यक्तिगत स्वार्थों को पार्टी के हितों पर ज्यादा तरजीह दी गई। आबूरोड में कर्मठता के लिए जाने जाने वाले नगर मंडल अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदार एक कार्यकर्ता को इसलिए डिमोट कर देने का आरोप लग रहा है कि उसने जिले की ही एक महिला नेत्री को उनके जन्मदिन पर माल्यार्पण करके शुभकामनाएं दे दी थी। पार्टी सूत्रों का दावा है कि प्रेमसिंह लोधा महामंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन, दो बडे नेताओं की खींचतान के कारण सिर्फ शुभकामनाए देने पर उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया गया। देखने में उपाध्यक्ष पद महामंत्री से बडा है लेकिन, पार्टी संविधान के अनुसार इस पद को लादे हुए इठलाते हुए घूमने के अलावा उपाध्यक्षों के पास संवैधानिक अधिकार शून्य हैं। उपध्यक्ष पद ठीक हाथी के दांत वाली कहावत जैसा है। खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और।
वहीं इस कार्यकारिणी में एक नाम और विवादों के घेरे में होने का आरोप लग रहा है। कथित रूप से एसीबी की कार्रवाई की जद में आए एक नेता की वजह से। नगर पालिका के ठेकेदार का बिल पास करने की एवज में सुविधा शुल्क लेने के आरोप में करीब डेढ दशक पहले इस नेता के अभिभावक पर एसीबी की कार्रवाई हुई थी, जिसका सीधा संबंध नई कार्यकारिणी में शामिल पदाधिकारी से जोडा जा रहा है। रीति नीति को लेकर चिंतित कार्यकर्ताओं में एसीबी से क्लीनचिट की तस्दीक किए बिना पार्टी की कार्यकारिणी में शामिल इस नाम पर भी असंतोष देखने को मिल रहा है।