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उत्तरप्रदेश में 'राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट' को नोटिस - Sabguru News
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उत्तरप्रदेश में ‘राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट’ को नोटिस

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उत्तरप्रदेश में ‘राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट’ को नोटिस
Uttar Pradesh : Notice sent to Rajiv Gandhi charitable Trust over land use
Uttar Pradesh : Notice sent to Rajiv Gandhi charitable Trust over land use
Uttar Pradesh : Notice sent to Rajiv Gandhi charitable Trust over land use

रायबरेली। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद के जायस में चल रहे राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को नोटिस दिया गया है।

महिलाओं को वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए ट्रस्ट 10 हजार स्क्वॉयर मीटर जमीन का इस्तेमाल कर रही है। 35 साल बाद राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) को अथॉरिटीज की ओर से नोटिस भेजा गया है, जिसे कांग्रेस राजनीतिक बदले के रूप में देख रही है।

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आरजीसीटी 1982 से यहां ट्रेनिंग सेंटर चला रही है। इस संबंध में रायबरेली सासंद सोनिया गांधी के रिप्रजेंटेटिव के.एल.शर्मा ने कहा कि भाजपा राजनीतिक बदला ले रही है। उन्होंने ये भी बताया कि लीगल एडवाइजर्स इस मामले को देख रहे हैं।

वहीं, अमेठी में भाजपा प्रवक्ता गोविंद सिंह ने कहा कि मैंने इस जमीन को लेकर एक साल पहले शिकायत की थी।लेकिन पूर्व की समाजवादी सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। कांग्रेस के मुताबिक, 1984 की शुरुआत में ये जमीन ठाकुरदास ट्रस्ट को दी गई थी। जमीन खाली पड़ी थी।

राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट बनने के बाद महिलाओं को रोजगार के लिए इसे सौंपा गया था। बतादें कि सोनिया गांधी आरजीसीटी की चेयरपर्सन हैं और राहुल इसमें ट्रस्टी हैं ।इससे पहले भी भाजपा की अमेठी जिले की यूनिट ने आरजीसीटी गेस्टहाउस को निजी हित में उपयोग करने का आरोप लगाया था।

भाजपा ने प्रशासन से इस पर जवाब मांगने के लिए कहा था। एसडीएम अशोक शुक्ला ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि कुछ जमीन कॉमन पब्लिक फैसिलिटीज के लिए अलग रखी जाती है। इस मामले में जमीन गर्ल्स कॉलेज के लिए रखी गई थी।

1982 में रायबरेली के डीएम ने एसडीएम को लेटर लिखा था।डीएम ने कहा था कि जमीन को वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के लिए रखा गया है, ताकि जॉब ओरिएंटेड ट्रेनिंग दी जा सके।

शुक्ला ने बताया नियम के मुताबिक, जमीन को किसी गवर्नमेंट डिपार्टमेंट या गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशन के अधिकार में होना चाहिए। लेकिन ऐसा कोई पेपर मौजूद नहीं है। उन्होंने कहाकि संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर जमीन वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।